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मुंबई : मुंबई महानगरपालिका द्वारा संचालित ‘बेस्ट’ बस सेवा के निजीकरण की योजना इसके लिए संजीवनी नहीं, बल्कि मारक साबित होगी। ‘आमची मुंबई आमची बेस्ट’ के बैनर तले यातायात विशेषज्ञों ने इन मुद्दों पर सिलसिलेवार रपट मुंबई के नागरिकों के सामने रखी।

संगठन के संयोजकों विद्याधर दाते और हुसैन इंदौरवाला ने रिपोर्ट जारी करते हुए बताया बेस्ट आर्थिक दिक्कतों का हवाला देकर इस सरकारी यातायात साधन को कम कर रही है, जबकि बेस्ट ने अब तक अकेले दम पर बिना किसी निजी क्षेत्र की सहायता लिए लाखों नागरिकों को सुविधा दी है। उन्होंने बेस्ट के टिकटों व पासों के दाम बढ़ने की चेतावनी दी। 

विशेषज्ञों ने बेस्ट के भारी नुकसान के मुद्दे को सिरे को खारिज करते हुए कहा कि जन-सुविधा वाली सेवा तो हमेशा नुकसान में ही चलती है। इसे सरकारी सहायता प्रदान करके मजबूत किया जाना चाहिए। बेस्ट के रास्ते में रोड़े दूर करने चाहिए। इसकी बसों के लिए पुणे की तरफ अलग लेन की व्यवस्था की जानी चाहिए। ऐसे उपाय किए जाने चाहिए कि प्राइवेट कारों की बजाय लोग बेस्ट बसों जैसे सार्वजनिक यातायात का इस्तेमाल करें। 

उन्होंने खेद व्यक्त किया कि विकास के नाम पर मेट्रो-मोनो, बुलेट ट्रेन, सुपर हाइवे के निर्माण के लिए सरकारी निधि लगाई जा रही है, जबकि आम आदमी के सफर को आसान बनाने के लिए लोकल ट्रेनों और बेस्ट बस सेवा को मजबूती प्रदान करने की जरूरत है। 

बीएमसी आयुक्त अजोय मेहता ने बेस्ट के गैर-सरकारीकरण का प्रस्ताव रखा है और बीएमसी और बेस्ट व्यवस्थापन इस पर जल्दी ही फैसला लेगी। दाते और इंदौरवाला ने बताया कि बेस्ट की पुरानी 1706 बसें हटाकर 1250 बसें ठेकेदारों से किराए पर लेने का प्रस्ताव है। ठेकेदारों नेजो दरें रखी हैं, उनसे होने वाला मुनाफा इतना मामूली है कि भरपाई नहीं होनी। आगे इन पर निर्भरता बढ़ने पर ये दाम बढ़ाने की मांग करेंगी तो क्या होगा। 


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