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मुंबई : महाराष्ट्र में बढ़ रहे कोरोना मरीजों की संख्या को देखते हुए राज्य की स्थिति चिंताजनक बनती जा रही है। राज्य की जनता फिर एक बार एकजुट होकर कोरोना जैसे मायावी महाराक्षस से मुकाबला करे। हम दृढ़ विश्वास के साथ कोरोना को रोक सकते हैं और लॉकडाउन से बच सकते हैं। लॉकडाउन हम भी नहीं चाहते लेकिन मुझे मेरी जनता और महाराष्ट्र की चिंता है। उक्त बातें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कल राज्य की जनता को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने विरोधियों को खरी-खरी सुनाते हुए कहा कि सड़कों पर उतरिए, परंतु कोरोना से लड़ने के लिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि भले ही मुझे खलनायक ठहराया जाए लेकिन सबसे पहले मेरी जनता और मेरा राज्य मुझे प्यारा है। उन्होंने विरोधियों की खबर लेते हुए कहा कि कोरोना को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए। लॉकडाउन के कारण महाराष्ट्र ही नहीं, पूरी दुनिया में अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। यह संकट अभी टला नही है। कोरोना अलग-अलग रूप बदलकर हमें मुश्किलों में डाल रहा है। पहले से बड़ा राक्षस आ गया है। हमें एकजुट होकर धैर्य से लड़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन लगाने के लिए तरह-तरह की सलाह दी जा रही है, सड़क पर उतरने की धमकी दी जा रही है। एक उद्योगपति ने भी स्वास्थ्य सुविधा बढ़ाने की सलाह दी है। हम बेड और अन्य सुविधाएं बढ़ा ही रहे हैं, केवल फर्नीचर की दुकान खोल लेना सुविधा नहीं होती। सुविधाएं तो बढ़ाई जा रही हैं लेकिन विशेषज्ञ, डॉक्टर, नर्स, और स्वास्थ्य कर्मचारी कहां से लाएं। उन्होंने कहा कि जरूर सड़क पर उतरो परंतु कोरोना को रोकने के लिए और डॉक्टरों व मरीजों की मदद के लिए सड़क पर उतरो। जिन कोरोना योद्धाओं ने अपनी जान गवां दी उनके परिवारों की जिम्मेदारी के लिए उतरो।

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कल राज्य की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे मेरा महाराष्ट्र प्यारा है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन घातक है, हम दो पेंच में फंस गए हैं, कोरोना से बचें या अर्थव्यवस्था को संभालें। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि लॉकडाउन के कारण रोजगार चले जाएंगे लेकिन कोरोना के कारण जान जाने का भी खतरा है। रोजगार तो वापस मिल जाएगा लेकिन चली गई तो जान फिर वैâसे वापस आएगी? कोरोना जांच मामले में हम पीछे नहीं हटेंगे। मुंबई में रोजाना लगभग ५० हजार तो पूरे महाराष्ट्र में १ लाख ८२ हजार लोगों का कोरोना टेस्ट किया जा रहा है। भविष्य में राज्यभर में ढाई लाख लोगों की प्रतिदिन जांच करने का लक्ष्य है। इनमें ७० प्रतिशत से अधिक लोगों को आरटीपीसीआर जांच करने का लक्ष्य है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अब तक हमने कोरोना मामले में कुछ छुपाया नहीं है और भविष्य में भी छुपाएंंगे भी नहीं। सरकार राज्य की जनता के स्वास्थ्य के साथ कोई समझौता नहीं करेगी। कुछ लोग बिहार, बंगाल चुनाव का हवाला देकर जांच कम करने की बात कर रहे हैं लेकिन हम जांच और वैक्सीन की गति कम नहीं करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र देश का पहला राज्य जिसने कोरोना से लड़ने के लिए युद्धस्तर पर कोरोना अस्पताल बनवाए, पौने चार लाख नए बेड्स की सुविधा उपलब्ध कराई। कोरोना के इलाज के लिए हर सुविधाएं बढ़ार्इं तब जाकर कोरोना कंट्रोल में आया था। जनवरी महीने में नए कोरोना मरीजों की संख्या ३०० से ३५० तक पहुंच गई थी लेकिन अब मुंबई में ८.५ हजार से अधिक नए मरीज मिल रहे हैं। पिछले वर्ष १७ सितंबर को तीन लाख सक्रिय मरीज थे और राज्यभर में लगभग २१ हजार से अधिक मरीजों की मौत हुई थी। अब एक दिन में ४३,०८३ से अधिक नए मरीज सामने आ रहे हैं। सरकार के पास अब भी जो स्वास्थ्य सुविधाएं हैं यदि ऐसे ही चलता रहा तो १५ दिनों में हमें और सुविधाएं बढ़ानी होंगी। सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को कम नहीं पड़ने देगी।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के पास बेड्स को सुविधा है, आईसीयू, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन आदि को बढ़ाया जा सकता है। सरकार इसमें पीछे नहीं हटेगी लेकिन डॉक्टर कहां से लाएंगे? डॉक्टर की संख्या सीमित है। डॉक्टर, नर्स, अन्य स्वास्थ्यकर्मी भी तो इंसान हैं, उन्हें भी अधिक तनाव में नहीं रखा जा सकता है। स्वास्थ्यकर्मी पहले से टेस्टिंग, वैक्सीनेशन और जनजागृति के कार्यक्रम में लगे हैं। लोगों के घर जा जाकर टेस्टिंग कर रहे हैं, मेहनत कर रहे हैं, उन्हें भी तो राहत देनी होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अभिमान की बात हो सकती है कि महाराष्ट्र में एक दिन में १.८२ हजार कोरोना जांच और तीन लाख से अधिक लोगों को वैक्सीन दिया जा रहा है। एक दिन में इतने बड़े पैमाने पर टीकाकरण और जांच सिर्फ महाराष्ट्र में हो रही है। अब तक कुल ६५ लाख लोगों को टीका लगाया जा चुका है। केंद्र भी इस मामले में हमारा सहयोग कर रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना से बचाने के लिए बड़े पैमाने पर टीका लगाने की जरूरत है। हमारा लक्ष्य है कि रोजाना ६ से ७ लाख लोगों को टीका लगाने का है। टीका लगाने के बाद भी लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। कोरोना नियमों का पालन अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि टीका लगाने के बाद भी लोगों को कोरोना पॉजिटिव पाया जा रहा है यह मामला मैंने पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ऑनलाइन बातचीत में उपस्थित किया था। उन्होंने भी इसे स्वीकार किया और कहा था कि टीका लेने का मतलब यह नहीं है कि कोरोना नहीं होगा। इससे सिर्फ कोरोना की घातकता को रोका जा सकता है। टीका बरसात में छतरी की तरह है। जैसे छतरी बरसात में भीगने से कुछ हद तक बचा सकती है, उसी तरह कोरोना संक्रमण के घातक प्रहार से टीका बचा सकता है।

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम लॉकडाउन टाल सकते हैं लेकिन जनता को नियमों का कड़ाई से पालन करना होगा। जनता ही युद्ध की असली सैनिक है। अब समय आ गया है कि फिर से जनता पहले की तरह एकजुट होकर कोरोना की लड़ाई में सहयोग करे। मुख्यमंत्री ने कहा कि शादी समारोह में भीड़, निजी संस्थानों में कर्मचारियों की उपस्थिति, मॉल, रेस्टोरेंट में भीड़ कम हो और लोग मास्क पहनें। इससे लॉकडाउन से बचा जा सकता है। जान बचाना है या रोजगार बचाना है। रोजगार तो फिर मिल जाएगा लेकिन जान कहां से फिर आएगी। सभी लोग तय कर लें तो कोरोना को रोक सकते हैं। विपक्ष जनता की जिंदगी से खेलने की राजनीति न करे। कोरोना के मरीज बढ़ते जा रहे हैं। स्थिति इसी तरह बनी रही तो अगले १५ से २० दिनों में स्थिति और चिंताजनक हो सकती है। हम अभी से तय कर लें। यह लहर हम रोक कर ही रहेंगे। अगली लहर नहीं आने देंगे। सरकार की ओर से बेड सुविधाओं और उपचार में कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। जैसे पिछली बार सहयोग किया, उसी तरह फिर से सहयोग करें।


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