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पवार ने कहा कि महाराष्ट्र के कुछ आदर्श हैं, जैसे- फुले, साहू, आंबेडकर, कर्मवीर भाऊराव पाटील. मैं देश के कोने कोने में जाता हूं. सभी के मन में साहू महाराज, छत्रपति शिवाजी महाराज, डॉ आंबेडकर के प्रति आदर सम्मान है. लेकिन ये इन पर ये कुछ भी बोलते हैं. शंकरदयाल शर्मा से लेकर अब तक कई राज्यपाल देखे, लेकिन आज के राज्यपाल तो महाराष्ट्र की विचारधारा को ही संकट में लाने का काम कर रहे हैं. बीजेपी के एक नेता द्वारा, ‘आंबेडकर को स्कूल चलाने के लिए भीख मांगना पड़ा’, ऐसी भाषा का इस्तेमाल हो रहा है. ऐसे लोगों को सबक सिखाए बिना हम चुप नहीं बैठेंगे.इस मुद्दे पर संजय राउत ने दावा किया कि राज्य की शिंदे-फडणवीस सरकार फरवरी महीने का मुंह नहीं देख पाएगी. उन्होंने कहा कि इस महामोर्चा के जरिए रणनीति तय हो चुकी है. बिगुल फूंके जा चुके हैं. हमारी फौज युद्ध के लिए तैयार है. आज के इस महामोर्चा ने राज्यपाल को डिसमिस कर दिया है. गवर्नर को डिसमिस कर देने वाला यह मोर्चा है. महापुरुषों का अपमान करके कोई सत्ता में बैठा हुआ नहीं रह सकता है. इन्हें एक मिनट भी सत्ता में बने रहने का अधिकार नहीं है.संजय राउत ने कहा कि इस सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए चिंगारी जल उठी है. महाराष्ट्र जग गया है, दहक रहा है. आज दिल्ली भी दूरबीन लगाकर देखता होगा कि हमारी ताकत क्या है. इस मंच पर महाराष्ट्र की सभी पार्टियों के नेता हैं और महापुरुषों का अपमान करने वाले मंत्रालय में बैठे हुए हैं. गांव गांव में इस सरकार और राज्यपाल के खिलाफ यह मोर्चा जाएगा. कर्नाटक का मुख्यमंत्री रोज महाराष्ट्र को आंखें दिखाता है. चीन से लड़ने की बात करते हो, मराठी मानुष पर हो रहे कर्नाटक में अत्याचार पर दो शब्द नहीं बोल पा रहे हो. तुम्हें सत्ता से हटाने का अवसर हमें कब मिलता है, यह महाराष्ट्र की साढ़े ग्यारह करोड़ जनता देख रही है. ईडी सरकार तुम ज्यादा दिनों तक नहीं चलोगे.इस मौके पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि हमारे लिए मुंबई मातृभूमि है लेकिन इनके लिए यह स्क्वेयर फुट में नापी जाने वाली जमीन भर है. हमारे जो संरक्षक हैं, वे मुंबई का हिसाब स्क्वेर फीट में कर रहे हैं. आगे उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल कोश्यारी और शिंदे-फडणवीस सरकार में मंत्री और बीजेपी नेता मगंल प्रभात लोढ़ा और शिंदे गुट के नेता संजय गायकवाड़ का नाम लिए बिना उनपर हमले करते हुए कहा कि हम कोश्यारी को राज्यपाल नहीं मानते और लफंगों को शिवाजी महाराज का नाम लेने का अधिकार नहीं है. महाराष्ट्र को कैसे कंगाल करें, कैसे खत्म करें, ये कोशिशें जारी हैं. ऐसे नारे लगाओ की दिल्ली के कान के पर्दे फट जाएं.





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