ऑइलिंग ने सुधारी हार्बर लाइन की सेहत नहीं खिंचेगा यात्रियों का इंतजार!
मुंबई : महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई की लोकल ट्रेनें अगर शहर की लाइफलाइन हैं, तो सीधी सी बात है कि इनकी सेहत भी गड़बड़ होती ही होगी। वैसे, लोकल ट्रेनों की सेहत सबसे ज्यादा हार्बर लाइन पर बिगड़ती है। ऐसे में इसे सुधारने के लिए मध्य रेलवे ने ट्रेन के पहियों पर तेल की धार छोड़नी शुरू कर दी है। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि आपके घुटनों की तरह हार्बर लाइन पर ट्रेन के चक्के भी बहुत ज्यादा घिसने लगे थे। इस तरह बीमार पड़ी ट्रेन के चक्के बार-बार बदलने पड़ते थे। इस प्रक्रिया में बेचारे मुंबईकरों को ट्रेनों पर ज्यादा इंतजार करना पड़ता था, लेकिन अब तेल वाले जुगाड़ (ऑइलिंग) के बाद मुंबईकरों का इंतजार कुछ कम हुआ है। हार्बर लाइन पर ट्रेनों की सेहत में भी 40 प्रतिशत सुधार आया है।
मध्य रेलवे के पास हार्बर और ट्रांसहार्बर लाइन मिलाकर कुल 52 रेक हैं। इन्हीं से रोजाना लाखों यात्रियों को सेवाएं मुहैया कराई जाती हैं। इन्हीं 52 में से किसी न किसी एक रेक के चक्के हर दो-तीन दिन बाद बदलने पड़ते थे। ऐसा इसलिए होता था, क्योंकि पटरियों पर ज्यादा मोड़ होने के कारण हार्बर लाइन पर चलने वाली ट्रेनों के पहिए जल्द घिस जाते थे। इस समस्या का समाधान पहिए बदलकर ही होता था। आमतौर पर दूसरे सेक्शन में चलने वाली ट्रेनों के साथ यही काम हर 18 महीने बाद होता है।
सीएसएमटी से चली किसी ट्रेन के पहियों में आवाज आने या गड़बड़ी होने के बाद उसे वाशी से सानपाडा कारशेड ले जाया जाता है। अगर, उस ट्रेन को वाशी से सीएसएमटी लौटने की योजना बनी हो, तो वह अटक जाती थी। ऐसे में, सानपाडा कारशेड से दूसरा रेक वाशी स्टेशन लाया जाता, ताकि उसे सीएसएमटी तक भेजा जा सके। इस पूरी प्रक्रिया में यात्रियों को 20-25 मिनट तक इंतजार करना पड़ता था। कई बार ट्रेन रद्द करनी पड़ती थी। नए जुगाड़ के बाद इस तरह की घटनाओं में 40 प्रतिशत तक कमी आई है।
ट्रेनों की सेहत सुधारने के लिए रेलवे ने जो प्रक्रिया अपनाई है, उसे साधारण भाषा में 'जुगाड़' भी कहा जा सकता है। मध्य रेलवे ने हर बोगी यानी पहियों वाली फ्रेम में एक ऑइल टैंक लगाया है, जिसे ऑइल डिस्पेंसर भी कहते हैं। इस टैंक से बड़ी ही मकैनाइज्ड तरीके से थोड़ी-थोड़ी देर में ऑइल की कुछ बूंदें पहिए के उस हिस्से में स्प्रे (छिड़काव) होती हैं, जहां से पहिया ज्यादा घिसता है। जैसे घरों में खुशबू छोड़ने वाला ऑटोमैटिक स्प्रै लगा रहता है, वैसे ही यह ऑइल डिस्पेंसर भी काम करता है। यह आयडिया कारगर साबित हो रहा है और इससे लाखों मुंबईकरों का इंतजार कुछ मिनट ही सही, लेकिन कम जरूर हुआ है।