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मुंबई : बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्देश पर मंगलवार को आरे कॉलोनी में ट्रांसप्लांटेड पेड़ों का सर्वे किया गया, जिसमें पाया गया कि 64 प्रतिशत पेड़ सूख चुके हैं। यह जानकारी मिलने के बाद पर्यावरणप्रेमियों में रोष व्याप्त हो गया है। सर्वे में शामिल हुए पर्यावरणप्रेमी और ‘सेव आरे’ की लड़ाई लड़ने वाले जोरू बथेना ने कहा कि ट्रांसप्लांटेशन के नाम पर लोगों को गुमराह किया जा रहा है। मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमएमआरसीएल) की ओर से पेड़ लगाने और ट्रांसप्लांट करने के नाम पर लोगों के साथ मजाक हुआ है। ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों की गिनती तो की जा रही है, लेकिन प्रशासन को यह फिक्र नहीं है कि इनमें से कितने पेड़ सूखने से बच पाए हैं। पर्यावरणप्रेमियों ने 2017 में बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका डालकर आरे में ट्रांसप्लांट हुए पेड़ों की स्थिति की जानकारी चाही थी। इसके बाद एक समिति तैयार की गई, जिसमें पर्यावरणप्रेमी और एमएमआरसीएल के लोग शामिल किए गए। मंगलवार को आरे कॉलोनी में 2017 से अब तक सात जगहों पर ट्रांसप्लांट किए गए 1060 पेड़ों का सर्वे किया गया। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, 1060 पेड़ों में से 680 यानि 64 प्रतिशत पेड़ सूखे पाए गए। पर्यावरणप्रेमी और वनशक्ति के निदेशक स्टेलिन डी का कहना है कि पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने का दावा सिर्फ धोखा है। ट्रांसप्लांटेशन के नाम पर केवल खानापूर्ति ही होती है। इस मुद्दे पर जब एमएमआरसीएल से बात करने की कोशिश की, तो कोर्ट का हवाला देकर अधिकारियों ने बात करने से मना कर दिया।


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