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 मुंबई : रेलवे आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर कम ऊर्जा से टे्रनों को चलाने का प्रयास कर रही है। रेलवे इन दिनों हेड ऑन जनरेशन (एचओजी) तकनीक पर विशेष जोर दे रही है। इस तकनीक से रेलवे को दोहरा फायदा हो रहा है। दरअसल रेलवे इस तकनीक की मदद से डीजल तो बचा ही रही है साथ ही कोच भी बढ़ा रही है, जिसके चलते डिब्बा बढ़ने से यात्रियों को कन्फर्म टिकट मिलना कुछ हद तक आसान हो जाएगा।

बता दें कि हेड ऑन जनरेशन तकनीक के प्रयोग से ट्रेनों में बिजली की सप्लाई इंजन के जरिए होने से पावर कार की जरूरत खत्म हो जाएगी। वर्तमान में एक एसी ट्रेन में दो पावर कार लगाए जाते हैं परंतु हेड ऑन जनरेशन तकनीक के कारण ट्रेन में पावर कार की जरूरत खत्म होने पर उसकी जगह पर एक सामान्य यात्री कोच बढ़ जाता है। इस तकनीक की मदद से यदि किसी ट्रेन में दो कोच बढ़ा दिए जाते हैं तो कम से कम १४० यात्रियों को कन्फर्म सीट मिलने से आरामदायक सफर करने का रास्ता साफ हो जाता है। इन दिनों पश्चिम रेलवे हेड ऑन जनरेशन तकनीक की मदद से ट्रेनों में कोच बढ़ाने की कवायद कर रही है। पश्चिम रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि कई ट्रेनों में इस तकनीक की मदद से कोच बढ़ाए गए हैं। हाल ही में पश्चिम रेलवे ने बांद्रा से सहरसा के बीच हेड ऑन जनरेशन तकनीक की मदद से हमसफर एक्सप्रेस में कोच बढ़ाकर चलाया है। अधिकारी का कहना है कि इस तकनीक की मदद से ट्रेन की एक ट्रिप में लगभग ५,००० लीटर डीजल की बचत हो रही है।

आमतौर पर ट्रेनों में चलनेवाले इलेक्ट्रिक इंजन को चलाने के लिए ओवरहेड वायर से बिजली सप्लाई की जाती है। इस बिजली से शक्ति लेकर इंजन चलता है। हेड ऑन जनरेशन (एचओजी) तकनीक की मदद से इंजन को मिलनेवाली बिजली को ट्रेन के हर डिब्बे तक इंजन के जरिए ही पहुंचाया जाता है ऐसे में डिब्बों में पंखे, लाइट, एसी आदि चलाने के लिए इंजन से ही बिजली की सप्लाई भेजी जाती है जिससे ट्रेन में अतिरिक्त पावर कार लगाने की जरूरत खत्म हो जाती है।


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