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मुंबई : डॉक्टरों को मरीज की जान के साथ उसकी दाढ़ी के बाल बचाने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ रही हैं। दरअसल मुंह की सर्जरी के दौरान मरीजों की दाढ़ी बनवानी पड़ती है। इसी के साथ बड़े ऑपरेशन के दौरान भी मरीज को ट्रक्सटॉमी की प्रकिया से गुजरना पड़ता है जिसके लिए उसके गले से एक पाइप डाली जाती है। उसकी मदद से मरीज की सांस लेनी की प्रक्रिया जारी रहती है। उक्त प्रक्रिया के लिए मरीज की दाढ़ी बनवाना अनिवार्य हो जाता है लेकिन कुछ मुस्लिम मरीजों ने इस बात को लेकर आपत्ति उठाई है और कहा है कि इस्लाम धर्म में दाढ़ी रखने का महत्व है।

मुंबई के नायर अस्पताल द्वारा कुछ मुस्लिम मरीजों की दाढ़ी निकाल दी गई थी। यह बात मनपा आयुक्त तक गई। इस हंगामे के बाद आखिरकार इस्लामी हठ के आगे अस्पताल प्रशासन को झुकना पड़ा। अस्पताल प्रशासन ने मुस्लिम धर्म की मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए एक पत्र जारी किया है। पत्र में सभी डॉक्टरों को यह सूचित किया है कि यदि ऑपरेशन के लिए मरीज की दाढ़ी का बाल निकालना अनिवार्य है तो सबसे पहले मरीज से एनओसी ली जाए यानी मरीज की सहमति के बाद ही उसकी हजामत की जाए। अस्पताल में आनेवाले इस तरह के मरीजों की जान जाए पर बाल न जाए वाली बात से डॉक्टर हैरान हैं।

मुंबई सेंट्रल स्थित नायर अस्पताल में शफी सिकंदर नामक मुस्लिम मरीज पैर के इलाज के लिए आया था। मरीज के मुताबिक डॉक्टरों ने उसकी दाढ़ी जबरन निकलवा दी। अब मुस्लिम मरीज ने अस्पताल से यह सवाल किया है कि जब पैर का ऑपरेशन करना है तो मेरी दाढ़ी के बाल क्यों काटे गए? इस बात को लेकर मुस्लिम मरीज ने अस्पताल में बवाल काटा था। हालांकि अस्पताल के डीन ने इस संदर्भ में दोषियों पर कार्रवाई करने की बात भी कही।

बता दें कि इस मुद्दे को लेकर तत्कालीन मनपा आयुक्त अजोय मेहता को भी पत्र लिखा गया था और मांग की गई थी कि बिना मरीज की अनुमति उसके बाल को न काटा जाए, इससे मुस्लिम धर्म के लोगों की संवेदना को ठेस पहुंच रही है। इस बवाल के बाद नायर अस्पताल प्रशासन ने एक सर्कुलर जारी किया। अस्पताल के डीन. डॉ. रमेश भारमल ने `दोपहर का सामना’ को बताया कि हमने सर्कुलर जारी कर सभी डॉक्टरों को सूचित कर दिया है कि बिना मरीज की अनुमति के उसकी दाढ़ी न निकाली जाए। ऑपरेशन किसी भी अंग का हो, कई बार ऐसा होता है कि सर्जरी के दौरान मरीज की हालत नाजुक हो जाती है। ऐसे में यदि ट्रक्सटॉमी की प्रकिया मरीज पर करनी पड़ी तो दाढ़ी अड़चन न बने इसलिए डॉक्टर पहले ही दाढ़ी निकलवा देते हैं। भारमल ने बताया कि किसी भी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना हमारा उद्देश्य नहीं होता। इसलिए मैंने दो बार यह सर्वुâलर जारी कर डॉक्टरों से कहा है कि सर्जरी करने के पहले मरीज से अनुमति ले लो। मनपा अस्पतालों के कुछ डॉक्टरों ने दबी जुबान में कहा कि हम सभी धर्म की इज्जत करते हैं लेकिन अब मरीज की जान देखें या पहले बाल? केईएम अस्पताल के डीन डॉ. हेमंत देशमुख ने कहा कि जल्द ही हम भी एक सर्कुलर जारी कर अपने डॉक्टरों से कहेंगे कि ऑपरेशन सहमति के साथ यदि दाढ़ी के बाल निकालने की जरूरत पड़ती है तो उसके लिए भी मरीज की अनुमति लें।


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