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गणेशोत्सव मतलब ऊर्जा का उत्सव है। लेकिन आर्थिक संकट के कारण कई गणेश मंडलों को यह उत्सव मनाने में संकटों का सामना करना प़ड़ रहा है। गणेश मंडलों की आर्थिक स्थिति पिछले दो साल में शून्य पर आ गई है। मंडल को स्मारिका के माध्यम से मिलनेवाले विज्ञापन का मार्ग बंद हो गया है। ऐसे में कई मंडल अपना फिक्स डिपॉजिट तोड़कर गणेशोत्सव मनाने की स्थिति में आ गए हैं।
मुंबई के करीब १२,००० गणेशोत्सव मंडलों में से ८० फीसदी मंडलों का खर्च ८ लाख से १५ लाख रुपए के बीच है। हालांकि इस साल इनमें से कई मंडल इस राशि का २० फीसद भी नहीं जुटा पाएंगे। पिछले साल कोरोना के कारण कई मंडलों ने चंदा नहीं लेने का निर्णय लिया था, उस पैâसले को इस साल भी बरकरार रखा है। स्मारिका के माध्यम से होनेवाली आय बंद हो गई है। इन मंडलों के कई कार्यकर्ताओं की नौकरी चली गई, ऐसी स्थिति में गणेशोत्सव के लिए फिक्स डिपॉजिट तोड़ने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है, ऐसी जानकारी घाटकोपर स्थित पारसीवाड़ी सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल के एक पदाधिकारी ने दी। कोरोना काल में विभिन्न स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन करने से लेकर कोकण में आई बाढ़ में राहत कार्य में गणेशोत्सव मंडल भी सबसे आगे थे। लेकिन अब गणेश मंडलों की तिजोरी खाली हो गई है।


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