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मुंबई, केंद्र सरकार द्वारा लागू अनिवार्य हॉलमार्किंग का जिस सर्राफा जगत ने दिल से स्वागत किया था, वही अब परेशान हो रहा है। इस संबंध में केंद्र सरकार के साथ ज्वेलर्स की एक बैठक हुई, जिसमें इसके कार्यान्वयन में होनेवाली असुविधाओं पर चर्चा की गई तथा पुराने स्टॉक को हॉलमार्क करने का यथोचित समय दिए जाने की मांग की गई। मांग के आधार पर पुराने माल की हॉलमार्किंग के लिए ३१ अगस्त २०२१ तक की समय सीमा निर्धारित की गई है। यही समय सीमा अब उनके लिए परेशानी का सबब बन गई है।
ऑल इंडिया ज्वेलरी एंड गोल्डस्मिथ फेडरेशन के राष्ट्रीय कन्वेनर नितिन केडिया के मुताबिक देश में सिर्फ ९३३ हालमार्किंग सेंटर है, जिनकी प्रतिदिन की क्षमता ३०० पीस ज्वेलरी के
हॉलमार्क करने की है। देश मे अभी तक ५९ हजार, ३९० ज्वेलर्स अपना रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं। कुल ३६ कार्यदिवस बाकी हैं, यदि प्रति ज्वेलर आकलन किया जाए तो मात्र १७० पीस प्रति ज्वेलर का ही हॉलमार्क हो पाएगा। ऐसे में सभी चिंतित और परेशान हैं कि १ सितंबर के बाद क्या वैधानिक रूप से उनका व्यापार संभव हो पाएगा? देश के विभिन्न शहरों की क्षमता भी अलग अलग है। एक तरफ जहां व्यापारी अपने स्टॉक को शीघ्रता से हॉलमार्क करा कर कानूनी दायरे में व्यापार करने हेतु तत्पर हैं, वहीं दूसरी तरफ विभाग ने नोटिसों का सिलसिला शुरू कर दिया है, जिस से व्यापरियों में असंतोष व्याप्त है। इसी को लेकर फेडरेशन के अध्यक्ष पंकज अरोरा ने पदाधिकारियो की एक आकस्मिक बैठक बुलाई थी, जिसमें गुजरात से चेयरमैन शांति भाई, मथुरा से अमित जैन, दिल्ली से राकेश कुमार, सुशील जैन, इंदौर से संतोष सर्राफ, जयपुर से मातादीन सोनी, मुंबई से नितिन केडिया, पटना से अशोक कुमार, कानपुर से मणींद्र सोनी, नागपुर से राजकुमार गुप्ता लखनऊ से मनीष वर्मा तथा विनोद माहेश्वरी आदि शामिल हुए। सभी ने एक स्वर में विभाग द्वारा जारी नोटिस की निंदा की। फेडरेशन के राष्ट्रीय सचिव राजीव रस्तोगी के प्रस्ताव पर इस बैठक में पुराने स्टॉक को हॉलमार्क कराने हेतु समय सीमा को कम से कम १ वर्ष तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।


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