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मुंबई : महाराष्ट्र में मुस्लिम आरक्षण को लेकर हाजी अली दरगाह के ट्रस्टी सुहैल खंडवानी ने बड़ा बयान दिया है। खंडवानी ने कहा कि राज्य में मुस्लिमों को शिक्षा और नौकरी में 5 फीसदी आरक्षण नहीं चाहिए। अगर मुस्लिमों का हित चाहते हैं, तो भारतीय संविधान के दायरे में रहकर मुस्लिमों को आरक्षण देने की व्यवस्था की जाए। इस पर मुस्लिम समाज के नेताओं और समाजसेवकों की ओर से पक्ष और विरोध में प्रतिक्रिया भी दी गई है। कुछ मुस्लिम नेताओं ने आरक्षण को लेकर खंडवानी के बयान को उनकी निजी राय बताया है।
खंडवानी ने कहा कि जब 50 फीसदी से अधिक आरक्षण नहीं हो सकता है, तो उसके ऊपर मुस्लिमों को 5 फीसदी आरक्षण का सपना दिखाना सही नहीं है। मुस्लिम समाज को तय 50 फीसदी आरक्षण के भीतर ही उनके हितों में व्यवस्था देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस पर सरकार को विचार-विमर्श करना चाहिए और किस तरह से मुस्लिम समाज के उत्थान के लिए 50 फीसदी आरक्षण के भीतर दिया जा सकता है, उस पर विचार करना चाहिए।
उन्होंने कहा, 'मुस्लिम समाज को 5 फीसदी आरक्षण को लेकर अपनी ऊर्जा और समय नष्ट करने से बेहतर है, उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किस तरह से 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण में हिस्सा मिले।'
'धर्म नहीं, पिछड़ेपन के आधार पर'
राज्य के पूर्व मंत्री मोहम्मद आरिफ नसीम खान ने कहा, '5 फीसदी आरक्षण को लेकर यह खंडवानी का निजी मत है। कई आयोग और समिति की सिफारिशों के बाद कांग्रेस की सरकार में 2014 में मुस्लिम समाज के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया था। मुस्लिम समाज के आरक्षण को लेकर हाई कोर्ट ने भी मंजूरी दी थी। मुस्लिमों को धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण दिया गया था।'

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