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उल्हासनगर : कोरोना जैसी वैश्विक बीमारी की प्रारंभिक जांच यानि के आरटीपीसीआर टेस्ट के काम आने वाली स्वैब किट की पैकिंग उल्हासनगर में किए जाने के मामले में स्थानीय पुलिस ने मनीष केसवानी नामक ठेकेदार के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पुलिस का कहना है कि संत ज्ञानेश्वर नगर में जिस बायो फार्मा कंपनी के नाम वाली स्वैब किट की पैकिंग की जा रही थी वह नकली है। समाचार लिखे जाने के समय तक आरोपी पुलिस की पकड़ से दूर है। गौरतलब है कि स्थानीय कैम्प नंबर-1 के खेमानी परिसर स्थित संत ज्ञानेश्वरनगर में विगत कुछ दिनों से स्वैब किट की पैकिंग वार्ड की गरीब महिलाओं द्वारा की जा रही थी। इतनी महत्त्वपूर्ण चीज की पैकिंग इतनी लापरवाही होता देख स्थानीय वार्ड के एक जागरूक युवक सुरेंद्र यादव को शक हुआ तो सुरेंद्र यादव ने अपने परिचित पत्रकार के माध्यम से बुधवार को इस मामले को उजागर किया।

मीडिया में खबरें आते ही मनपा, पुलिस व अन्न व औषधी प्रशासन के अधिकारी  संत ज्ञानेश्वरनगर पहुंचे और वह किट जब्त कर आगे को जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने प्रारंभिक जांच में पाया कि जिस कंपनी का नाम उस स्टिक पर लिखा है। वह किट उस कंपनी की नहीं है।कोरोना जैसी वैश्विक महामारी की जांच करने के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट करवाया जाता है। उक्त टेस्ट द्वारा पता चलता है कि मरीज़ कोरोना पॉज़िटिव है या निगेटिव। जांचकर्ताओं की नाक में और गले में उक्त स्टिक डालकर स्वाब लिया जाता है और उसी तरह की स्टिक उल्हासनगर के कैम्प क्रमांक-1 स्थित संत ज्ञानेश्वर नगर में कई घरों के पैकिंग किए जाने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। सूचना मिलते ही अन्न व औषधी प्रशासन विभाग के निरीक्षक विलास तासखेडकर व उनकी टीम ने उल्हासनगर पुलिस की मदद से संत ज्ञानेश्वर में जहां जहां यह काम चल रहा था वहां से स्टिक जमा की। पैकिंग करने वाली गरीब महिलाओं द्वारा जानकारी दी गई यह काम उनको मनीष केसवानी नामक उनके परिचित ठेकेदार ने दिया है। पुलिस ने मनीष केसवानी के खिलाफ मामला दर्ज उसकी तलाश शुरू कर दी है। सहायक पुलिस निरीक्षक एमवी चौधरी इस मामले की जांच कर रहे है। 

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