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महाराष्ट्र : महाराष्ट्र में लॉकडाउन और पंद्रह दिनों के लिए बढ़ाए जाने से फिल्म और टीवी उद्योग से ज़ुडे लोगों का संकट और बढ़ गया है। सिने एम्प्लॉइज के संगठनों के फेडरेशन FWICE ने बताया है कि लॉकडाउन बढ़ा तो 1000 करोड़ रुपए का नुकसान होना तय है। ये सरकार को पहले ही सूचित किया गया था फिर भी हमारी बात नहीं सुनी गई। दूसरे स्टेट में बायोबबल में शूटिंग हो रही है, मुंबई तो सिने इंडस्ट्री का हब है, यहां भी परमिशन मिलनी चाहिए। सरकार कोई राहत पैकेज या केश रिलीफ भी नहीं दे रही। आखिर पांच लाख से ज्यादा लोगों के रोजगार का सवाल है।

महाराष्ट्र में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने 14 अप्रैल रात 8 बजे से 1 मई सुबह 7 बजे तक लॉकडाउन लगा दिया था। इसके साथ ही पूरे राज्य में धारा 144 लागू कर दी गई थी। 15 दिन का लॉकडाउन लग जाने से फिल्म, टीवी सीरियल्स और ऐड कमर्शियल्स की शूटिंग रुक गई थी। इससे फिल्म और टीवी इंडस्ट्री में टेक्नीशियन और क्रू मेंबर्स का तबका लॉकडाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ। सभी को उम्मीद थी कि 1 मई से शूटिंग का सिलसिला फिर शुरू होगा, लेकिन सरकार के 15 दिन लॉकडाउन बढ़ा देने से सेट पर काम करने वाले लाखों टेक्नीशियन और दूसरे क्रू मेंबर्स के सामने फिर रोजगार का संकट खड़ा हो गया है।

फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज (FWICE) के प्रेसिडेंट बीएन तिवारी ने बताया कि अगर लॉकडाउन बढ़ा तो इंडस्ट्री को कम से कम 1,000 करोड़ का नुकसान होगा ये हमने पहले ही सरकार को बताया था। ये भी बताया था कि डेली वेजेस कर्मचारियों की माली हालत खस्ता हो जाएगी। अब ऐसा ही हो रहा है। उद्धव सरकार ने बगैर हमारी बात पर गौर किए लॉकडाउन बढ़ा दिया और शूटिंग की परमिशन नहीं दी। शायद उन्हें हमसे कोई सरोकार नहीं। उनकी तरफ से पिछले पत्र को कोई जवाब नहीं आया।

जिनको काम करना है वो बाहर जा रहे हैं। इंडस्ट्री शिफ्ट हो रही है। सबसे बड़ी बात रियलिटी शो भी बाहर शिफ्ट हो रहे हैं। जैसे सुपर डांसर का दमन में सेट लगा है। इससे आने वाले समय में फिल्म सिटी मुंबई से बाहर शिफ्ट हो सकती है। दो प्रोड्यूसर ने उमरगांव में स्टूडियो बनाया है, वे वहीं शूट कर रहे हैं। दूसरों को भी दे रहे हैं शूटिंग के लिए। लॉकडाउन के बीच टीवी इंडस्ट्री के कई प्रोड्यूसर अपने शोज को गुजरात, हैदराबाद और गोवा में शूट कर रहे हैं। मुंबई में तो सिर्फ मराठी फिल्म और सीरियल बनेगी। सीएम साहब तो सिर्फ मराठी फिल्म वालों से बात करते हैं, हमसे नहीं। उनका हिंदी वालों से जैसे कोई नाता नहीं। हमें मिलने का समय भी नहीं देते।

फेडरेशन के जनरल सेक्रेटरी अशोक दुबे ने बताया कि फेडरेशन के पहले पत्र का जवाब नहीं मिला। शुक्रवार को दोबारा कॉर्डिनेशन कमेटी ने आपस में चर्चा करके मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा है, उनसे मिलने का समय मांगा है। उम्मीद है कुछ पॉजिटिव आंसर आएगा। फेडरेशन के 5 लाख कर्मचारी, क्रू मेंबर्स की मदद करने के लिए हम बड़े सितारो से भी बात करेंगे।

(FWICE) फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज, IFTDA (इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन डायरेक्टर्स एसोसिएशन), IFTPC (इंडियन फिल्म एंड टीवी प्रोड्यूसर्स काउंसिल), IMPPA (इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यर्स एसोसिएशन, प्रोड्यूसर गिल्ड ऑफ इंडिया, VIFPA (वेस्टर्न इंडिया फिल्म प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन), CINTAA (सिने एंड आर्टिस्ट एसोसिएशन) और चारो चैनल जी, स्टार, कलर्स और सोनी शामिल है। सरकार की तरफ से आदेश बांदेकर कमेटी में हैं, वहीं सांसद और कलाकार अमोल कोले भी कमेटी के मेंबर हैं।

इंडियन फिल्म एंड टीवी प्रोड्यूसर्स काउंसिल के टीवी विंग के चेयरमैन जे.डी. मजीठिया ने बताया कि लॉकडाउन बढ़ने से टीवी इंडस्ट्री की मुसीबत और बढ़ी है। टीवी जो रोज-रोज डिलीवर करता है। वह एक जगह अपना तंत्र बनाता है। सेट से लेकर सारी सुविधाएं हों। जिसकी वजह से अंडर वन रूफ सारी चीजें हो जाती हैं। बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर बनता है, जहां 6 महीने से 10-10 साल शो चलते हैं। इस माहौल में एक रिसोर्ट या कहीं और शिफ्ट हो जाना बहुत चैलेंजिंग है। वहां ये सारी सुविधाएं नहीं होती हैं। वहां कहानी से लेकर सब हिल जाती है। निर्माता को नुकसान होता है। इंफ्रास्ट्रक्चर, कहानियों को बदलना बहुत सारे चैलेंज होते हैं। मुंबई में सेट बना है दूसरा टेम्परेरी सेट कहीं बाहर तैयार करना चुनौती और बजट बढ़ाने वाला है। ऊपर से महामारी का चैलेंज। टीवी के निर्माता शो मस्ट गो ऑन की तर्ज पर चल रहे हैं। जो शूटिंग के लिए दूसरे स्टेट में गए हैं उनके लिए भी आना-जाना, लगातार टेस्ट और काफी सारी दिक्कत है, ऐसे में सब चाहेंगे कि मुंबई में वापस शूटिंग शुरू हो।

हमारा सरकार से इतना निवेदन है हम जिस तरह बाहर दूसरे राज्यों में बायोबबल बनाकर शूट कर रहे हैं। महाराष्ट्र में भी हमें बायो बबल बनाकर शूट करने दें। वो चीज हमारे ज्यादा कंट्रोल में है। हम गाइडलाइन का पालन करेंगे। हम भी एसेंशियल सर्विस में आते हैं। दुख, डिप्रेशन, फ्रस्टेशन के माहौल में हम दर्शकों को फ्रेश कॉन्टेट से मनोरंजन देते हैं। सरकार हमें भी फ्रंटलाइन वर्कर्स की तरह ट्रीट करे। हम तो कंधे से कंधा मिलाकर सरकार के साथ कोरोना से लड़ना चाहते हैं। कोई हमारा बहुत बड़ा पैसा नहीं बनता बल्कि नुकसान होता है। कलाकार से लेकर टेक्नीशियन भी पर डे काम करते हैं। ऐसे में डेली वेजेस वालों के लिए बहुत चैलेंज है सस्टेन करना। हमारा महाराष्ट्र सरकार से अनुरोध है कि हमारी भी गुहार सुने। हमने चिट्ठी लिखी है अब जवाब का इंतजार है।


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