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मुंबई: लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। चुनावी बिगुल बजने के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण द्वारा मुंबई, ठाणे सहित राज्य के सभी निर्वाचन क्षेत्रों का सर्वे कराया गया था। इस सर्वे की रिपोर्ट तकरीबन चार दिन पहले अशोक चव्हाण के हाथ में पहुंची। इस सर्वे में सबसे अधिक झटका कांग्रेस को मुंबई और ठाणे में लगा है। मुंबई की पांच लोकसभा सीटों पर कांग्रेस और एक लोकसभा सीट पर राकांपा चुनाव लड़ रही है। इन पांचों सीटों पर कांग्रेस हार रही है। यह जानकारी कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री ने नाम न छापने की शर्त पर दी है। कांग्रेस नेता के मुताबिक मुंबई में कम से कम तीन सीट पर कांग्रेस जीत हासिल करेगी परंतु चार दिन पहले आई सर्वे रिर्पोट ने कांग्रेस की नींद उड़ा दी है। कांग्रेस नेता का दावा है कि सबसे बड़ा प्रभाव एयर सर्जिकल स्टाइक के बाद पड़ा है। इसके अलावा कांग्रेस नेताओं के बीच मुंबई में चल रही गुटबाजी का मतदाताओं पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम की चल रही मनमानी से जितने भी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हैं, वे लोकसभा चुनाव में पूरी तरह से कन्नी काट रहे हैं। चाहे वे नसीम खान हों, कृपाशंकर सिंह या स्व. कामत गुट हो। वे पूरी तरह से अपने को तकरीबन अलग कर लिए हैं। इसके अलावा मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ कांग्रेस नेता व उम्मीदवार मिलिंद देवरा पार्टी हाईकमान से पहले ही शिकायत कर चुुके हैं कि निरुपम की वजह से कांग्रेस की नैया मुंबई में पार होना मुश्किल है। पूर्व विधायक राजहंस सिंह, रमेश सिंह, कृष्णा हेगड़े आदि कांग्रेसी पहले ही कांग्रेस को राम-राम कह चुके हैं। इस स्थिति में मुंबई में कांग्रेस की सीट निकलनी असंभव है। कांग्रेस नेता के मुताबिक मुंबई में कांग्रेस के वोट बैंक उत्तर भारतीय थे, वह वोट बैंक भाजपा के साथ चला गया है। पांच साल के बाद उत्तर भारतीय वोट कांग्रेस के साथ आएंगे, ऐसी उम्मीद थी परंतु एयर सर्जिकल स्ट्राइक ने उक्त उम्मीद पर पानी फेर दिया। इसके अलावा आज कांग्रेस के पास कोई उत्तर भारतीय नेता नहीं है, जो उत्तर भारतीयों का वोट कांग्रेस की ओर मोड़ सके। इसलिए आज की तारीख में मुंबई व ठाणे में एक भी सीट कांग्रेस-राकांपा नहीं जीत रही है, ऐसा दावा वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने किया है।


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