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मुंबई: हुक्का के बाद युवाओं सहित बच्चों में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (ई-सिगरेट) की लत तेजी से फैल रही है। इसके रोकथाम के लिए महाराष्ट्र अन्न व औषधि प्रशासन (एफडीए) कब से प्रयास कर रहा था, आखिरकार उनके हाथ सफलता मिल ही गई। स्वास्थ्य के लिए घातक माने जानेवाले निकोटीनयुक्त ई सुट्टा पर आखिरकार प्रतिबंध लगा दिया गया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी कर सभी राज्यों को ई-सिगरेट की बिक्री, खरीदारी और सेवन पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है।

बता दें कि एफडीए के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वे पिछले ४ साल से ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने के लिए भरपूर प्रयास कर रहे थे। इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से निकोटीन डिलिवर करनेवाले ई-सिगरेट, वेप, ई-शीशा और निकोटिनयुक्त हुक्का आदि से कई तरह की स्वास्थ्य समस्या उत्पन्न होने की बात कई अध्ययन में पाई गई है। ई-सिगरेट में डाले जानेवाले सल्यूशन में लीड, क्रोमियम, निकल जैसे धातु और फॉर्मल डीहाइड जैसे केमिकल होते हैं जो कि स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक हैं। इतना ही नहीं इससे निकलनेवाला धुआं भी घातक होता है। महाराष्ट्र एफडीए आयुक्त डॉ. पल्लवी दराडे ने `दोपहर का सामना’ से कहा कि ई-सिगरेट के दुष्परिणाम जग जाहिर हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए एडवाइजरी जारी की है और हम जल्द से जल्द इसे लागू करेंगे। `चेस्ट रिसर्च फाउंडेशन’ के अध्यक्ष डॉ. संदीप सालवी ने बताया कि आम सिगरेट की तुलना में ई-सिगरेट को अच्छा माना जाता है। कम केमिकल होने के कारण लोग ई-सिगरेट का सेवन करते हैं और खासकर युवा लेकिन ऐसे कई अध्ययन हुए जिसमें यह पाया गया है कि ई-सिगरेट का सेवन फेंफड़ों को क्षति पहुंचाता है। सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगाने का जो पैâसला लिया है, उसका हम स्वागत और समर्थन करते हैं।


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