विश्व किडनी दिवस पर विशेष : कम नमक, कम कोलेस्ट्रॉल का करें भोजन, पेनकिलर भी खतरनाक
मुंबई : अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्वस्थ, संयमित और संतुलित जीवनशैली आवश्यक है। किसी भी प्रकार की बीमारी होने पर एलोपैथी, होम्योपैथी या आयुर्वेद की चिकित्सा पद्धति लोग अपनाते हैं। कोरोना काल में तो आयुर्वेद पर लोगों ने कुछ ज्यादा ही भरोसा किया और उसके बेहतरीन नतीजे भी देखने को मिले। लेकिन क्या आप जानते हैं, आयुर्वेद के नाम पर बिकनेवाले कई उत्पाद आपको बीमार बना सकते हैं? च्यवनप्राश आदि कई डिब्बाबंद आयुर्वेद के उत्पादों में सोना-चांदी भस्म के प्रयोग का दावा किया जाता है लेकिन इसका उपयोग आपके गुर्दे को मुर्दा बना सकता है यानी आपकी किडनी को डैमेज कर सकता है इसलिए आयुर्वेद को बहुत संभलकर अपनाने की आवश्यकता है।
बता दें कि ११ मार्च को विश्व किडनी दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर ‘दोपहर का सामना’ ने विशेषज्ञों से बातचीत की। इस बातचीत में चौंकानेवाली खबर ये मिली कि आयुर्वेद के नाम पर डिब्बाबंद स्वर्ण-रजत भस्म युक्त पदार्थ खतरनाक हो सकते हैं। जसलोक अस्पताल के नेप्रâोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ. एम. एम. बहादुर ने शोधपरक अध्ययन कर किडनी संबंधी कई आवश्यक और आश्चर्यजनक जानकारियां दी हैं।
उन्होंने बताया कि किडनी को स्वस्थ रखने के लिए हमें पर्याप्त जल का सेवन करना चाहिए। ऐसे फूड, जिनमें कोलेस्ट्रॉल या नमक ज्यादा हों, उसका सेवन नहीं करना चाहिए। डायबिटीज को नियंत्रित रखने से भी किडनी सुरक्षित रहती है क्योंकि डायबिटीज किडनी को डैमेज कर सकता है। डॉक्टर बहादुर का कहना है कि ज्यादा मात्रा में वैâल्शियम का सेवन भी घातक होता है। इससे किडनी स्टोन का खतरा होता है। उन्होंने यह भी बताया कि एक समय में जड़ी-बूटी आदि से आयुर्वेदिक इलाज होता था लेकिन अब डिब्बाबंद आयुर्वेदिक सामान बेचे जा रहे हैं, जिसमें दावा किया जाता है कि इसमें सोना-चांदी की भस्म है। ये खतरनाक है क्योंकि पहले से ही किडनी की बीमारी से जूझ रहे लोगों द्वारा ऐसे उत्पादों का प्रयोग करने के बाद उनकी किडनी को बहुत नुकसान हुआ, ऐसा एक शोध में देखने को मिला। डॉक्टर का कहना है कि ऐलोपैथी की पेनकिलर दवाइयां किडनी का बहुत नुकसान करती हैं। ऐसी दवाइयों को बिना प्रिस्क्रिप्शन के नहीं लेना चाहिए।