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ठाणे : सामाजिक कुरीतियों तथा इज्जत के नाम पर छोड़ दिए गए मासूमों को गोद लेने के लिए १६५ इच्छुक दंपति पिछले एक साल से प्रतीक्षा कर रहे हैं। पिछले साल कोरोना काल के दौरान ३५ मासूमों को मां-बाप की गोद मिली, जिनमें २१ बच्चियों तथा १४ बच्चों का समावेश है। ठाणे जिला महिला एवं बाल कल्याण विभाग के मुताबिक गोद लेने के लिए ज्यादातर इच्छुक दंपति बच्चियों की मांग कर रहे हैं।

शादी की बढ़ती उम्र, जीवन शैली में तनाव तथा कई तरह की बीमारियों के चलते अनेक दंपति संतान सुख से वंचित हो रहे हैं। लाखों रुपए खर्च कर वे इलाज करा रहे हैं, बावजूद उन्हें निराशा हाथ लग रही है। इलाज पर खर्च करने के बजाय अनाथ आश्रमों से बच्चों को गोद ले लेने का विचार संतानहीन दंपतियों के बीच तेजी से पैâल रहा है।

डोंबिवली तथा नेरुल स्थित दो संस्थाओं द्वारा मासूम बच्चों को गोद देने का काम किया जाता है। कोई दंपति इसका गलत फायदा न उठा सके, इसके लिए गोद लेने से पहले दंपति को कई कड़े नियमों, शर्तों एवं जांच से गुजरना पड़ता है। यह परीक्षा पास कर चुके १६५ दंपति अभी भी संतान सुख की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

वर्ष २०१६ में ४७, २०१७ में ३७, २०१८ में ४८, २०१९ में ५८ तथा २०२० में ३५ बच्चों को गोद दिया गया। खानदान को आगे बढ़ाने के लिए बेटों की चाह रखने की मानसिकता अब धीरे-धीरे धराशायी होने लगी है। ज्यादातर दंपति अपने आवेदन में बेटियों को गोद लेने की इच्छा जता चुके हैं। १६५ दंपति जो अभी प्रतीक्षा सूची में हैं, उनमें से ७५ ने बच्ची, ५० ने बच्चा तथा बाकी बचे दंपति दोनों में से कोई एक की इच्छा जता चुके हैं।


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