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पालघर : जंगल में अधजली हालत में मिले नौसैनिक के दावे को महाराष्ट्र पुलिस ने खारिज कर दिया है। नौसैनिक सूरज कुमार दुबे ने खुद को चेन्नई से अगवा कर पालघर में जलाए जाने का दावा किया था। जांच में उसका यह दावा निराधार साबित हुआ है। दुबे की इलाज के दौरान मुंबई के नौसेना अस्पताल में मृत्यु हो गई थी। दुबे की मृत्यु के बाद प्रारंभिक जांच में पालघर पुलिस ने दावा किया था कि उस पर करीब 22 लाख का कर्ज था। जिसमें से आठ लाख रुपए का पर्सनल लोन था। पांच लाख का कर्ज उसने अपने एक सहकर्मी से लिया था और नौ लाख उसने अपनी होने वाली ससुराल से लिए थे। इतने कर्ज के बावजूद उसके स्टेट बैंक के दो अलग-अलग खातों में सिर्फ 392 रुपये शेष थे।

सूरज कुमार दुबे ने अपने मृत्युपूर्व बयान में कहा था कि उसे चेन्नई से तीन लोग अगवा करके पालघर के जंगल में ले आए। वे उससे 10 लाख रुपये की फिरौती मांग रहे थे। फिरौती न दे पाने पर उन्होंने उसे जिंदा जला दिया। पुलिस की जांच में उसका यह दावा निराधार साबित हुआ। चेन्नई गई पुलिस की टीम को सीसीटीवी फुटेज में चेन्नई विमानतल के बाहर सूरज टहलता दिखाई दिया था। एक एटीएम की सीसीटीवी फुटेज में भी वह नजर आया था। यहां तक कि पालघर के एक पेट्रोल पंप पर वह स्वयं डीजल खरीदता भी दिखाई दिया। पुलिस को उसके इस दावे में भी सच्चाई नजर नहीं आई, कि उसे चेन्नई से पालघर तक आंखों पर पट्टी और दोनों हाथ बांधकर लाया गया। क्योंकि इतनी लंबी दूरी (करीब 1500 किलोमीटर) इस प्रकार तय करना संभव नहीं लगता।

झारखंड के चैनपुर निवासी नौसैनिक सूरज कुमार दुबे की 15 जनवरी को ही सगाई हुई थी। वह गांव में अपनी छुट्टियां बिताकर 30-31 जनवरी को रायपुर-हैदराबाद-चेन्नई फ्लाइट में रवाना हुआ था। लेकिन एक फरवरी को वह अपनी ड्यूटी पर हाजिर नहीं हुआ और पांच फरवरी की सुबह अधजली हालत में पालघर के जंगल में पाया गया। चूंकि इससे पहले दो साधुओं की बर्बर हत्या के कारण पालघर पुलिस दबाव में थी, इसलिए इस कांड की जांच के लिए 10-10 पुलिसकर्मि यों की 10 टीमें गठित की गईं। महाराष्ट्र से चेन्नई तक जांच की गई और पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंची कि सूरज कुमार दुबे का अपहरण का दावा गलत था।


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