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मुंबई : नाला सफाई को लेकर हर साल बीएमसी करोड़ों रुपये खर्च करती है, बावजूद इसके मुंबई में ज्यादा बारिश होती है तो मुंबई में सड़कें जलमग्न हो जाती है।कई बार बाढ़ जैसी स्थिति बन जाती है। इस जल भराव के कारण मुंबई के कई निचले इलाकों में सड़क यातायात से लेकर रेल यातायात तक बाधित हो जाता है। इसलिए, बीएमसी की तरफ से हर साल मानसून से पहले मुंबई में नदियों और नालों की सफाई का काम किया जाता है। यह काम इस बार फरवरी के अंत तक शुरू हो जाएगा। इस पर 152.25 करोड़ रुपए खर्च होने की उम्मीद है।इस बारे में हुई बैठक के दौरान बीएमसी की स्थायी समिति ने मंजूरी दी है ।बीएमसी द्वारा बारिश के पानी को शहर से बाहर निकालने के लिए लगातार विभिन्न उपायों को लागू करती है। इसके तहत, मीठी नदी सहित बड़े नालों की सफाई नियमित रूप से की जाती है। आमतौर पर बड़े नालों की सफाई मानसून से पहले 75 फीसदी, मानसून के दौरान 15 फीसदी और मानसून के बाद 10 फीसदी की जाती है। बीएमसी के रेन वाटर ड्रेनेज विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, मुंबई मनपा के शहरी क्षेत्रों में लगभग 32 किमी लंबी ड्रेनेज हैं। इसकी सफाई पर 12.19 करोड़ रुपये खर्च होने की उम्मीद है। पूर्वी उपनगरों के प्रमुख नालों की लंबाई लगभग 100 किमी है और इनकी साफ-सफाई की लागत 21.03 करोड़ रुपये अपेक्षित है। पश्चिमी उपनगरों में 140 किमी लंबे नालों की सफाई के लिए 29.37 करोड़ रुपये खर्च करने की उम्मीद है। मुंबई, पूर्वी उपनगर और पश्चिम उपनगर, इन तीनों क्षेत्रों में स्थिति मीठी नदी का लगभग 20 कि.मी की सफाई के काम को मंजूरी दी गई है।

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