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मुंबई : रिपब्लिक टीवी के सभी चैनलों का संचालन करने वाली कंपनी एआरजी आउटलायर मीडिया ने बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि कथित फर्जी टीआरपी घोटाले में मुंबई पुलिस द्वारा दायर आरोपपत्र में रिपब्लिक टीवी एवं इसके प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी के खिलाफ किसी सबूत का खुलासा नहीं किया गया है। उच्च न्यायालय में मंगलवार को दाखिल जवाबी हलफनामे में आरोपपत्र का उत्तर देते हुए कंपनी ने कहा कि पुलिस ने मामले में उसके कर्मचारियों को 'गलत तरीके से फंसाया।' कंपनी ने कहा कि उसके चैनलों एवं कर्मचारियों के खिलाफ दायर मामला पूरी तरह 'राजनीतिक बदले' और 'गहरी दुर्भावना' से प्रेरित है। जवाबी हलफनामे कहा गया कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में मुंबई पुलिस की जांच एवं पालघर में साधुओं की पीट-पीटकर की गई हत्या को लेकर बिना डर की गई रिपोर्टिंग की वजह से रिपब्लिक टीवी के कर्मचारियों को निशाना बनाया जा रहा है। राजपूत का शव पिछले साल जून में मुंबई के बांद्रा स्थित उनके घर में कथित तौर पर फंदे से लटका मिला था। एआरजी आउटलायर मीडिया ने अपने हलफनामे में कहा कि मामले में वास्तविक शिकायतकर्ता हंसा रिसर्च ग्रुप ने रिपब्लिक टीवी या उसके कर्मचारियों का नाम नहीं लिया था। कंपनी ने कहा कि मुंबई पुलिस की अपराध शाखा को भी चैनल या कर्मचारियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला, लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने चैनल एवं उसके कर्मचारियों को अपने आरोपपत्र में आरोपी एवं संदिग्ध के तौर पर नामजद किया। कंपनी ने कहा, 'आरोपपत्र वजन के लिहाज से भारी है लेकिन याचिकाकर्ता के खिलाफ सबूत के मामले में नगण्य है।' हलफनामे में कहा गया, 'आरोपपत्र में एक भी गलत किए गए कार्य के सबूत नहीं दिए गए हैं।' कंपनी ने हलफनामे में आरोप लगाया कि पुलिस ने उसके सहायक उपाध्यक्ष घनश्याम सिंह सहित उसके कर्मचारियों को प्रताड़ित किया एवं शारीरिक यातना दी। हलफनामे के मुताबिक सिंह, मुख्य कार्याधिकारी विकास खानचंदानी एवं अन्य पर रिपब्लिक टीवी और मामले में आरोपी अन्य लोगों को फंसाने के लिए दबाव बनाया गया।

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