Latest News

नई दिल्ली। अगले साल होने वाला बंगाल विधानसभा चुनाव केंद्रीय चुनाव आयोग के लिए सिरदर्द बन सकता है। दरअसल, पिछले कुछ दिनों में जिस तरह हिंसक घटनाएं हुई हैं और नौकरशाही को लेकर केंद्र व राज्य के बीच तनाव है, उसका सीधा असर चुनाव पर पड़ सकता है। यह माना जा रहा है कि आगामी चुनाव न सिर्फ पिछले कई दशकों का सबसे तीखा चुनाव होगा, बल्कि नौकरशाही के स्तर पर भी बड़े बदलाव होंगे। वहीं, प्रदेश में कानून-व्यवस्था पर राज्यपाल की रिपोर्ट के बावजूद केंद्र से कोई संवैधानिक कदम उठाने की फिलहाल कोई संभावना नहीं है।
बंगाल में राजनीतिक हिंसा और नौकरशाही के रुख से बढ़ सकती है परेशानी
बंगाल में चुनाव तीन कारणों से आयोग और सुरक्षा बलों के लिए भारी मशक्कत का विषय होता है। पहला कारण है नक्सल प्रभाव वाला बड़ा हिस्सा और दूसरा हिंसा और तीसरा प्रदेश में नौकरशाही का रुख। नक्सलवाद पर जरूर थोड़ी लगाम लगी है, लेकिन राजनीतिक हिंसा चरम पर है। तीन दिन पहले ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के अमला पर पत्थरबाजी हुई। इससे पहले पिछले साल अमित शाह के रोड शो पर हमला हुआ था। पिछले कुछ दिनों में भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या भी हुई है।
आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में स्थिति और खराब हो सकती है। वहीं नौकरशाही का रुख पिछले कुछ वर्षों में बार-बार दिखा है। अभी जेड कैटेगरी सुरक्षा प्राप्त नड्डा पर हमले के बारे में चर्चा करने प्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी को बुलाया गया तो उन्होंने आने से मना कर दिया। पिछले साल एक मामले में कोलकाता के पुलिस आयुक्त के घर सीबीआइ रेड करने गई तो खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बचाव में न सिर्फ उतर आई थीं, बल्कि धरने पर भी बैठ गई थीं।
बंगाल के राज्यपाल की रिपोर्ट के बाद केंद्र और राज्य के बीच टकराव भी तेज है। बंगाल के राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि प्रदेश में राजनीतिक हिंसा का दौर इसलिए खत्म नहीं होता है, क्योंकि परोक्ष तौर पर नौकरशाही सत्ताधारी दल का हिस्सा बन जाती है। दोनों एक-दूसरे के संरक्षक के रूप में काम करते हैं। यही कारण है कि राज्य में उत्तर प्रदेश, बिहार या किसी और राज्य की तरह डीएम या एसपी के खिलाफ प्रदर्शन कम ही होता है।
सूत्रों का कहना है कि ऐसी स्थिति में आयोग को बहुत सख्त फैसले लेने पड़ सकते हैं। बड़ी संख्या में नौकरशाही में फेरबदल की गुंजाइश है। संभव है कि आयोग की आलोचना भी हो। सुरक्षा बलों की मौजूदगी संभवत: अभूतपूर्व हो। ध्यान रहे कि पिछले लोकसभा चुनाव में हिंसा की आशंका से ही चुनाव अधिकारियों ने ड्यूटी पर जाने से मना कर दिया था।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमले के बाद बढ़ गई सियासी तपन के बीच उप चुनाव आयुक्त सुदीप जैन बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने 17 दिसंबर को सूबे के तीन दिवसीय दौरे पर जाएंगे। वे राज्य में नियुक्त केंद्रीय चुनाव आयोग के अधिकारियों के साथ कई चरणों में बैठक करेंगे। जिलाधिकारियों के साथ भी उनकी महत्वपूर्ण बैठक होगी। उनके उत्तर बंगाल जाने का भी कार्यक्रम है। सूत्रों के अनुसार उप चुनाव आयुक्त के दौरे से पहले समस्त जिलाधिकारियों को बूथ लेवल पर अपने जिले के संवेदनशील इलाकों की सूची तैयार करने को कहा गया है। वहां पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान हुई हिंसक वारदात का ब्योरा भी मांगा गया है।




Weather Forecast

Advertisement

Live Cricket Score

Stock Market | Sensex

Advertisement