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मुंबई :  मार्च से पहले जो स्थिति ट्रेनों की थी, यदि उसे पैमाना माना जाए तो कहा जा सकता है कि भारतीय रेल ट्रैक पर आ रही है। लंबी दूरी की ट्रेनों में हॉकर्स का आना मतलब अब स्थिति सामान्य हो रही है। पश्चिम रेलवे के मुंबई डिविजन यानी मुंबई सेंट्रल या बांद्रा से सूरत तक ट्रेनों में नियमित हॉकर्स का आना शुरू हो चुका है। मजे की बात ये है कि इस दौरान ट्रेन में कमर्शल स्टाफ भी होता है और आरपीएफ की गश्त भी रहती है। 

शुक्रवार को मुंबई से जोधपुर के लिए रवाना हुई सूर्यनगरी एक्सप्रेस को देखकर कहा जा सकता है कि इस डिविजन में सब सामान्य होने वाला है। ट्रेन में बोरिवली से हॉकर्स चढ़े और सूरत में आराम से उतर गए। अब सवाल ये है कि रेलवे के उन दावों का क्या जहां केन्द्र सरकार द्वारा यात्रा संबंधी गाइड लाइन के पालन के हवाला दिया जाता है। बांद्रा टर्मिनस पर किसी भी यात्री की स्क्रीनिंग नहीं की गई। यात्रा के दौरान हॉकर्स पर कोई रोक लगती दिखाई नहीं दी। इस विषय पर वरिष्ठ मंडल रेल सुरक्षा आयुक्त, डीआरएम मुंबई डिविजन और महाप्रबंधक तक को सूचित किया गया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सुमित ठाकुर की ओर से मामले को देखने की बात कही गई।

इस रूट पर चलने वाले नियमित हॉकर्स बताते हैं कि चार महीनों से धंधा मंदा ही है। पहले दिन में दो ट्रेन हो जाती थी, अब एक ही ट्रेन होती है। इसके अलावा लोग भी समान लेने से कतराते हैं। हॉकर्स बताते हैं कि वे बोरिवली से आराम से ट्रेन में चढ़ते हैं और सूरत में उतरते हैं। लॉकडाउन से पहले भी यही होता था, लेकिन अब ट्रेनों में चढ़ने के लिए चाय पानी ज्यादा हो जाता है। इस मामले में ट्रेन में मौजूद आरपीएफ स्टाफ से बात की, तो उन्होंने ट्रेन में किसी भी हॉकर्स की मौजूदगी से इनकार कर दिया, जबकि बोरिवली से सूरत के बीच कम से कम पांच बार हॉकर्स और स्टाफ का सामना हुआ।

गौरतलब है कि हॉकर्स का ट्रेनों के आना कोई सामान्य बात नहीं है लेकिन संक्रमण के इस दौर में वायरस फैलने का डर होता है। हॉकर्स द्वारा ट्रेन में करीब 200-300 लोगों से लेन देन होता है जिसमें बच्चे बूढ़े सब शामिल हैं। इस तरह की लापरवाही का भुगतान सीधे तौर पर यात्रियों को करना पड़ सकता है। 


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