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दिल्ली : दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) से संबद्ध दिल्ली सरकार के वित्त पोषित कॉलेजों में शिक्षकों व कर्मियों के वेतन को लेकर बीते दिनों डीयू शिक्षक संघ व दिल्ली सरकार आमने-सामने थे, लेकिन अब इस मामले को लेकर डीयू प्रशासन व दिल्ली सरकार सीधे-सीधे आमने -सामने हो गए हैं।

इस मामले को लेकर बीते दिनों उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इन कॉलेजों का फंड 5 सालों में 70 फीसद बढाने का हवाला देते हुए शिक्षकों को वेतन देने की अक्षमता पर कॉलेजों पर भ्रष्टाचार सम्बधी आरोप लगाए थे। जिसके बाद डीयू प्रशासन ने शुक्रवार को इसका जबाब देते हुए भ्रष्टाचार सम्बधी आरोपों पर एतराज जताया है  और कॉलेजों के खर्च में हुई बढ़ोतरी की जानकारी दी है। तो वहीं शनिवार को दिल्ली सरकार ने इन कॉलेजों का फाइनेंशियल ऑडिट का निर्देश देते हुए कहा है कि इससे सच सामने आएगा।

कॉलेजों के खर्च 500 फीसद तक बढ़ा : डीयू

उपमुख्यमंत्री की तरफ से 5 सालों में कोलेजों का फंड 70 फीसद तक बढाने व इस साल 23 फीसद फंड आवंटित करने पर भी वेतन जारी करने में अक्षमता सम्बधी आरोपों का जबाव डीयू के डीन ऑफ कॉलेज की तरफ से दिया गया है। जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया है कि डीयू के इन कोलेजों का खर्चा 500 फीसद तक बढ़ा है। डीयू का कहना है कि  वेतन व्यय में 80 से 100 फीसद की बढ़ोतरी के चलते कॉलेजों का खर्च बढ़ गया है। वहीं इसमें बिजली, पानी, स्वच्छता, सुरक्षा पर किए जा रहे खर्च को शामिल करें तो यह खर्च 500 फीसद तक बढ़ा है।

डीयू ने कहा है कि सैलरी मद में खर्च बढ़ने से कॉलजों के खर्च में बढ़ोतरी हुई है। जिसके तहत सातवें वेतन आयोग की सिफारिश लागू करने के बाद प्रति कर्मचारी के वेतन में 25 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। वहीं अन्य कर्मियों का वेतन की  2014 में जो 8250 था, वह अब बढ़कर 15 हजार हो गया है। जो तकरीबन 83 फीसद की बढ़ोतरी है। इसी तरह तदर्थ शिक्षकों का वेतन जो वर्ष 2014 में 56 हजार था वह वर्ष 2020 में बढ़कर तकरीबन 90 हजार हो गया है। यह बढ़ोतरी तकरीब 60 फीसद की है।

डीयू का कहना है कि यह बढ़ोतरी दिल्ली सरकार की तरफ से की गई है। इसी तरह  अन्य खर्चे भी शामिल है। जिसमें 3 फीसद प्रतिवर्ष इंक्रीमेंट, 20 फीसद डीए की बढ़ोतरी शामिल है। जबकि ईडब्लूएस कोटे से दाखिला प्रक्रिया होने के बाद  वर्ष 2019-20 व 2020-21 में  25 फीसद छात्र संख्या बढ़ी है। इस वजह से  चार कालेज नए इमारत में स्थानांतरित हुए हैं। जिस वजह बिजली, पानी, स्वच्छता, सुरक्षा और नई इमारतों में स्थानांतरण, पुरानी इमारतों की देखभाल का खर्चा भी वेतन के साथ बढ़ा है। यह बढ़ोतरी 300-500 फीसद तक है।


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