दलालों से मिले डीसीपी के फर्जी, पर कलेक्टर के असली ई-पास
मुंबई : देश भले ही अनलॉक की प्रक्रिया में धीरे-धीरे वापस बढ़ रहा है, पर लॉकडाउन अभी भी पूरी तरह से हटा नहीं है। लॉकडाउन में एक शहर से दूसरे शहर या एक राज्य से दूसरे राज्य जाने के लिए पुलिस, कलेक्टर या अन्य सरकारी विभागों की परमिशन जरूरी होती है। इसके लिए जरूरतमंद लोगों को ई-पास दिए जाते हैं। लेकिन ई-पास के नाम पर कुछ ठग रोजाना हजारों रुपये कमा रहे हैं।
सीनियर इंस्पेक्टर अशोक खोत और नितिन पाटील की टीम ने ऐसे ही चार लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि इन्होंने मुंबई पुलिस के डीसीपी के नाम पर फर्जी ई-पास बनाए थे, लेकिन इनके पास से महाराष्ट्र के एक ग्रामीण कलेक्टर ऑफिस के असली ई-पास मिले। शक है कि इसमें कलेक्टर ऑफिस के भी कुछ लोग शामिल हो सकते हैं।
जब क्राइम ब्रांच को इस रैकेट का पता चला, तो एक फर्जी ग्राहक तैयार कर इस गैंग के एक आदमी से संपर्क किया गया कि हमें सातारा जाने के लिए ई-पास चाहिए। उसने जब कागजात मांगे, तो फर्जी ग्राहक ने मुंबई के अपने जरूरी कागज वॉट्सऐप कर दिए। जवाब में आरोपी ने मुंबई के बाहर के एक कलेक्टर ऑफिस से जारी ई-पास भेज दिया। तब मुंबई के ग्राहक ने कहा कि जब उसे मुंबई से जाना है, तब ठाणे का ई-पास क्यों?
इस पर आरोपी ने मुंबई के डीसीपी के नाम का फर्जी पास भेज दिया। इसके बाद क्राइम ब्रांच ने अपना ऑपरेशन शुरू किया और आरोपियों को सिंधुदुर्ग के पास मालवण से लेकर पालघर जिले में विरार, वसई तक छापेमारी की। इसी में चार आरोपी हाथ लगे। क्राइम ब्रांच के अनुसार, पकड़े गए आरोपियों में तीन टूर ऐंड टैवल्स के बिजनेस से जुड़े हैं, जबकि एक आरोपी की फोटोशॉप है।