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मुंबई : एशिया के सबसे बड़े स्लम में शुमार धारावी एक बार फिर चर्चा में है. इस बार चर्चा झुग्गियों के विकास को लेकर नहीं, बल्कि कोरोना से जंग जीतने को लेकर है. मुंबई में कोरोना संक्रमण की शुरुआत के साथ ही धारावी जैसी घनी बस्ती में कोरोना फैलना शुरु हुआ जिसकी चर्चा विश्व स्तर पर हुई. मुंबई के  के सबसे बड़े हॉट स्पॉट बनने से लेकर प्लाज्मा थेरपी के लिए प्लाज्मा दान करने तक और कोरोना संक्रमण रोकने के लिए विकसित हुए नये पैटर्न को लेकर अब भी चर्चा में बना हुआ है.

मिनी  इंडिया के तौर पर जाने जाने वाले धारावी के लोग कोरोना को जिस प्रकार मात दे रहे हैं उसकी गूंज विश्व स्वास्थ्य संगठन तक हुई है. डब्ल्यूएचओ ने धारावी पैटर्न की तारीफ करते हुए कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित देशों को भी धारावी पैटर्न अपनाने की सलाह दी है.  2.5 वर्ग किमी में फैले धारावी की जनसंख्या 6.33 लाख है. लेकिन यहां 2.5 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर रहते हैं. स्थानीय समाज सेवकों का मानना है कि धारावी में कम से कम 12 लाख लोग रहते हैं. 1 किमी दायरे में 3.6 लाख लोग रहते हैं. 10×10 वर्ग फुट के कमरे में औसतन 10 व्यक्ति रहने के कारण घनत्व बहुत ज्यादा है. 

धारावी में कोरोना का पहला मामला 1अप्रैल को मिला जब 56 साल के गारमेंट्स व्यवसायी कोविड19 पॉजिटिव पाया गया. उसके संपर्क में आने वालों की बीएमसी और पुलिस वालों ने तलाश शुरू की. व्यवसायी धारावी के डॉ. बालिगा नगर की एक सोसायटी में रहता है वहां से लेकर गारमेंट शॉप जो कि मस्जिद के बगल में है पुलिस को 5 जोडे़ मिले जो दिल्ली के मरकज़ से आये थे. उसके बाद धारावी में मरीजों की संख्या विस्फोटक रुप लेती गई. धारावी में मरीजों की बढ़ती संख्या देख कर सरकार और बीएमसी के हाथ पैर फूलने लगे. लोगों में कोरोना का खौफ घर कर गया था. 

जी उत्तर वार्ड के सहायक मनपा आयुक्त किरण दिघावकर बताते हैं कि मरीजों के संपर्क में आने वालों को खोजना बड़ी चुनौती थी. छोटी तंग गलियों में पैदल आना जाना ही दुश्वार हो जाता है. गलियों में वाहन नहीं जा सकते थे. बीएमसी अधिकारियों, डॉक्टरों की टीम के साथ स्थानीय एनजीओ के सहारे लोगों तक पहुंच बनानी पड़ती थी. उनको वहां से निकाल कर क्वारंटाइन करना और सभी को समय पर तीन समय भोजन की व्यवस्था इतनी सरल नहीं थी. शुरुआत में सोशल डिस्टेसिंग का लोग पालन नहीं करते थे.  सबसे बड़ी समस्या सार्वजनिक शौचालयों के उपयोग की थी जिस कारण कोरोना संक्रमण बढ़ रहा था.  शौचालय को दिन में दो बार सेनेटाइज किया जा रहा था.  जैसे- जैसे मरीजों की संख्या बढ़ती गई तो लोग भी सहयोग करने लगे. लोगों के सहयोग के कारण ही कोरोना पर नियंत्रण मिल रहा है. 

हॉट स्पॉट बनने के बाद धारावी में अब तक 1000 से ज्यादा कोरोना मरीज ठीक हो चुके हैं. सरकार के प्लाज्मा दान करने की अपील पर 450 से ज्यादा लोग प्लाज्मा देने के लिए आगे आए हैं. खुद स्वस्थ होने के बाद उनका हौसला बुलंद है. अब वे दूसरे मरीजों की जान बचाने की जंग में भी शामिल हो रहे हैं. मन में विश्वास हो तो कोई भी लड़ाई जीती जा सकती है. धारावी निवासियों का यह जज्बा कोरोना से लड़ाई के लिए  दूसरों को भी प्रेरित करता है.  समाज सेवक रमाकांत गुप्ता प्रवासी मजदूरों और स्थानीय लोगों को राशन बांटते हुए खुद  संक्रमित हो गये थे वे कहते हैं कि धारावी में ऐसे सैकड़ों परिवार हैं जो संक्रमित होने पर भी परिवार के साथ रहे, लेकिन परिवार के लोगों को संक्रमित होने का पता ही नहीं चला. हमारे परिवार में 6 लोग हैं. मुझे कोरोना का लक्षण दिखाई देने के बाद अस्पताल में भर्ती हुआ लेकिन परिवार के किसी सदस्य की न जांच हुई और न ही उनमें कोरोना का संक्रमण दिखा. एनजीओ और स्थानीय डॉक्टर्स डोर टू डोर जांच कैंपेन का हिस्सा बने. 


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