भिवंडी : मजदूरों को घर पहुंचाने की जिम्मेदारी उठाए सरकार
भिवंडी : लॉक डाउन की वजह से बंद हुए रोजगार के कारण मजदूरों की कमर टूट गई है. रोजगार बंद होने से मजदूरों के समक्ष आर्थिक संकट पैदा हो गया है. सरकार द्वारा मजदूरों को मुलुक ले जाने हेतु स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है और किराया वसूला जा रहा है. जनहित सामाजिक संस्था ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिख कर सरकार द्वारा गरीब मजदूरों को मुलुक भेजने की मुफ्त व्यवस्था किए जाने की अपील की है. गौरतलब हो कि लॉक डाउन के कारण भिवंडी पावरलूम नगरी में कार्य करने वाले करीब 2 लाख से अधिक प्रवासी मजदूर भूखमरी व आर्थिक संकट झेल रहे हैं. लॉक डाउन बढ़ने की वजह से बेरोजगारी झेल रहे मजदूरों को सरकार द्वारा मुलुक पहुंचाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.
भिवंडी रोड रेलवे स्टेशन से गोरखपुर स्पेशल ट्रेन शनिवार रात्रि को छोड़ी गई है. गोरखपुर जाने वाले प्रवासी मजदूरों से प्रति मजदूर 800 रुपया लिया गया है. अधिसंख्य गरीब मजदूरों ने रोते हुए कहा कि कठिनाइयों से बचा कर रखा हुआ पैसा टिकट के लिए दे दिया. आश्चर्यजनक तथ्य है कि गोरखपुर स्पेशल ट्रेन से जाने वाले मजदूरों का टिकट किराया 745 रुपये होने के बावजूद 800 रुपये लिया जाना आपदा घड़ी में भी सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली को दर्शाता है.
जनहित संस्था ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में कहा है कि 22 मार्च से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वैश्विक महामारी आपदा की वजह से लॉक डाउन घोषित किए जाने से पावरलूम नगरी भिवंडी पूर्णतया लॉक हो गई है. भिवंडी में यूपी, बिहार, बंगाल, आंध्रा, तेलंगाना, कर्नाटका, गुजरात, राजस्थान आदि प्रदेशों के हजारों मजदूर आजीविका चलाते हैं. वैश्विक महामारी से तमाम रोजगार बंद हो जाने से गरीब मजदूर भारी परेशानी झेल रहे हैं.आपदा की घड़ी में सरकार को असहाय मजदूरों को सरकारी खर्च पर मुलुक पहुंचाया जाना चाहिए. गरीब मजदूर जो पहले से ही आर्थिक संकट झेल रहे हैं. टिकट का पैसा कहां से अदा करेंगे ?
हजारों मजदूर काम न होने से पूरी तरह कंगाल हो चुके हैं. ट्रेन की शुरुआत होने से मजदूरों के समक्ष टिकट का किराया देने के लिए भी पैसा नहीं है. ऐसे में वह मुलुक कैसे जाएंगे सोचने पर मजबूर हो गए हैं. जनहित सामाजिक संस्था ने गरीब मजदूरों के हितार्थ जरूरी कदम उठाए जाने की अपील की है. गरीब मजदूरों के मुखिया की जिम्मेदारी निभाते हुए सरकार को मजदूरों की यात्रा का खर्च वाहन करना चाहिए. मजदूर जिस प्रदेश का है वहां की राज्य सरकार को आगे बढ़कर संकट की घड़ी में मजदूरों की मदद करनी चाहिए.