मुंबई : गन्ना मार्केट संकट में
मुंबई : एम्प्रेस सिटी मॉल के सामने लगने वाला विदर्भ का सबसे बड़ा और करोड़ों का गन्ना मार्केट आज अतिक्रमण के संकट से जूझ रहा है. इसके चलते गन्ना व्यापारियों और किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ा है. यहां पर बाजार 100 वर्ष से अधिक समय से लग रहा है. इसके बावजूद इस मार्केट के लिए प्रशासन द्वारा किसी तरह से सुध नहीं ली गई है. वहीं व्यापारियों के अनुसार कलमना में इस मार्केट को लगाने के लिए कहा जा रहा है, लेकिन हम लोगों को वहां पर नहीं जाना है. जब यहां पर ही दिन-प्रतिदिन ग्राहकी घटते जा रही है, तो इतने दूर ग्राहक ही नहीं आयेंगे. सरकार से कई बार इस मार्केट के लिए जगह की मांग की जा चुकी है, लेकिन किसी ने आज तक ध्यान नहीं दिया. आज अतिक्रमण कार्रवाई के चलते मार्केट का अस्तित्व खतरे में आ गया है. अतिक्रमण कार्रवाई में माल जब्त होने से किसानों को बहुत अधिक नुकसान झेलना पड़ता है. आज शहर में हो रही अतिक्रमण की कार्रवाई के कारण गन्ना बाजार में माल लाने से लोग घबराने लगे हैं.
गन्ना व्यापारी रामचंद्र भानारकर बताते हैं प्रशासन द्वारा किसी तरह की सुविधा नहीं किये जाने के चलते आज भी सड़क पर ही लग रहा है. इतने वर्षों में भी गन्ने के लिए स्थायी मार्केट नहीं होने से व्यापारियों के साथ-साथ गन्ना उत्पादकों को बहुत अधिक तकलीफों और आये दिन अतिक्रमण उन्मूलन की कार्रवाई का सामना करना पड़ता है, जिसके चलते कई बार विभाग द्वारा गन्नों को जब्त भी कर लिया जाता है. कार्रवाई के कारण नुकसान भरपाई भी नहीं हो पाती. आज हम लोगों को कलमना में आकर मार्केट लगाने के लिए कहा जा रहा है. भानारकर कहते हैं कि अब तक गन्ना बाजार कलमना बाजार समिति में नहीं आता था, लेकिन अब कैसे इसमें लिया जा रहा है. यह भी कहा जा रहा है कि यदि कलमना में मार्केट नहीं लगाया गया, तो लाइसेंस रिनुअल नहीं किये जायेंगे. विविध तरह की समस्याओं के कारण आज यहां पर ही ग्राहकी ठंडी पड़ती जा रही है, तो उतने दूर मार्केट में कौनसा ग्राहक आयेगा. आसपास ही जगह के लिए कई वर्षों से मांग की जा रही है, लेकिन आज तक किसी तरह की स्थायी जगह नहीं दी गई. व्यापारियों व किसानों के अनुसार आज विदर्भ के सबसे बड़े गन्ना मार्केट का दुश्मन खुद प्रशासन ही बना हुआ है. अतिक्रमण कार्रवाई कर रोजगार का जरिया छीना जा रहा है. अभी गन्ने का सीजन शुरू हो चुका है. ऐसे सीजन में इस तरह से परेशान किया जायेगा, तो हम कहां जायेंगे. सीजन में मार्केट के दिन 40 से 50 ट्रक माल आता है. गन्ना उत्पादकों को खुले में और गन्नों की नीलामी करनी पड़ती है. बड़ी राशि में लेन-देन होता है. सुरक्षा और सुविधा के नाम पर यहां पर कुछ नहीं होने से हमेशा लुटेरों का भी डर बना रहता है. आज तक प्रशासन बस आश्वासन ही देते आ रहा है.