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मुंबई : चिकित्सा क्षेत्र में जितने महत्वपूर्ण डॉक्टर होते हैं, नर्सों की भूमिका भी उनसे कम नहीं होती। क्योंकि डॉक्टर जहां इलाज देते हैं, वहीं नर्स मरीजों की देखभाल करती हैं। महाराष्ट्र में इस समय नर्सों की भारी कमी है। विशेषज्ञों के अनुसार, वर्तमान की जरूरत के मुताबिक राज्य में 1 लाख और नर्सों की जरूरत है। नर्सिंग होम हों या बड़े अस्पताल, नर्सों के अभाव में उन्हें संचालित नहीं किया जा सकता। इस प्रफेशन के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल मई में नर्स डे मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2020 को ईयर ऑफ नर्स (नर्सों का साल) के रूप में सेलिब्रेट करने का फैसला लिया है। भले ही नर्सों के हित के लिए सरकार और विश्व संस्थानों द्वारा कई घोषणाएं होती रहती हैं, लेकिन हकीकत में नर्सों को कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। फिर चाहे समय से अधिक काम करना हो या काम के बदले मिलने वाला मेहनताना हो।

महाराष्ट्र नर्सिंग काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान नैशनल नर्सिंग काउंसिल के सदस्य रामलिंग माली ने कहा कि फिलहाल महाराष्ट्र में 1.5 लाख पंजीकृत नर्स हैं, लेकिन जिस तरह से बीमारियों और दुर्घटनाओं का आंकड़ा बढ़ रहा है, उसके अनुसार राज्य को फिलहाल एक लाख और नर्सों की जरूरत है। इस बारे में अक्सर सरकार से हमारी बात होती है, लेकिन कोई ठोस फैसला अब तक नहीं हो सका। नर्सिंग काउंसिल के अनुसार, 5 मरीजों पर एक नर्स होना चहिए। अगर मरीज आईसीयू या ऑपरेशन थियेटर में है, तो और अधिक नर्सों की जरूरत पड़ती है। लेकिन महाराष्ट्र में 40 मरीजों पर एक नर्स है। सरकारी अस्पतालों में तो यह अनुपात और भी खराब स्थिति में है। मुंबई में यह स्थिति बेहद खराब है। यहां 60 मरीजों पर एक नर्स है। नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ की जनरल सेक्रेटरी त्रिशला काम्बले ने बताया कि कॉर्पोरेशन के अस्पतालों में नर्सों की संख्या बेहद कम है। इसके कारण एक नर्स पर 5-6 नर्सों का बोझ होता है। वहीं रात के वक्त तो पूरे-पूरे वॉर्ड में केवल एक ही नर्स होती है। बीएमसी के कई अस्पतालों में नर्सों के पोस्ट खाली हैं, जिन्हें भरा नहीं जा रहा। राज्य नर्सिंग काउंसिल से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि पिछले कुछ सालों में बोगस नर्स की संख्या तेजी से बढ़ी है। अयोग्य नर्स के कारण बात मरीज की जान पर आ सकती है। माली ने बताया कि राज्य में बोगस नर्सों को पकड़ने या उनकी पहचान के लिए कुछ पुख्ता इंतजाम नहीं हैं, जिसके कारण यह समस्या बढ़ रही है। महाराष्ट्र नर्सिंग काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष रामलिंग माली कहते हैं कि मरीजों की संख्या के अनुसार, राज्य में एक लाख और क्वालिफाइड नर्सों की जरूरत है। जब तक यह संख्या पूरी नहीं होती, मरीज और नर्सों का अनुपात संतुलित नहीं हो सकता।


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