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मुंबई :  महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन की फाइनल स्क्रिप्ट दिल्ली में अगले एक-दो दिनों में लिखी जाएगी। एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार आज या कल में दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे, जिनका रुख इस संभावित गठबंधन का भविष्य तय करेगा। सोनिया से मुलाकात से पहले पवार आज अहमद पटेल, केसी वेणुगोपाल, मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे कांग्रेस के अहम नेताओं से मिलेंगे। दूसरी तरफ, सकार गठन में हो रही देरी से शिवसेना कैंप की धड़कनें बढ़ रही हैं। शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के बीच जिस कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का ड्राफ्ट तैयार हुआ है उस पर आखिरी मुहर दिल्ली में ही लगेगी। एनसीपी चीफ शरद पवार ने रविवार को पुणे में पार्टी के सीनियर नेताओं के साथ चर्चा की। सोनिया-पवार मुलाकात से ही स्पष्ट हो जाएगा कि महाराष्ट्र में अगली सरकार कैसी होगी। दोनों नेताओं की मुलाकात में सबकुछ ठीक रहा तो शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भी एक-दो दिनों में दिल्ली आ सकते हैं।

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक राज्य में शिवसेना के साथ सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया सकारात्मक नहीं हैं। इसके लिए कांग्रेस की सेक्युलर और शिवसेना की कट्टर हिंदुत्ववादी छवि आड़े आ रही है। कांग्रेस के एक नेता ने बताया कि राज्य के अधिकतर नेता सरकार गठन के पक्षधर हैं, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व इसके लिए हिचकिचा रहा है। नई सरकार का भविष्य अब सोमवार या मंगलवार को होने वाली सोनिया और पवार की बैठक पर टिका है। कांग्रेस नेताओं को उम्मीद है कि बैठक में कोई न कोई फॉर्म्युला जरूर निकलेगा। सरकार गठन में देरी से शिवसेना कैंप की धड़कनें बढ़ रही हैं। शनिवार को ही कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना का संयुक्त प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिलने वाले थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि जबतक गठबंधन को पार्टी हाई कमान की मंजूरी नहीं मिल जाती तबतक शिवसेना के साथ किसी जॉइंट डेलिगेशन का हिस्सा बनना ठीक नहीं होगा। अपना मुख्यमंत्री बनाने के लिए ही शिवसेना ने बीजेपी और एनडीए को छोड़ उस कांग्रेस की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है जिसकी विचारधारा कई मामलों पर उससे काफी अलग है। इसी से समझा जा सकता है कि कट्टर हिंदुत्व की पैरोकार शिवसेना ने कितना बड़ा जोखिम उठाया है। अगर इतना जोखिम उठाने के बाद भी बात नहीं बनती है तो शिवसेना सबसे बड़े लूजर के तौर पर उभरेगी।

दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस हाई कमान अभी शिवसेना के साथ गठबंधन को लेकर हिचकिचा रहा है लेकिन महाराष्ट्र में जमीनी स्तर पर कांग्रेस, एनसीपी के नेता, कार्यकर्ता शिवसेना के साथ दोस्ताना दिखाने का कोई मौका नहीं खो रहे। रविवार को शिवसेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे की पुण्यतिथि के मौके पर एनसीपी और कांग्रेस के भी नेता शिवाजी पार्क में उन्हें श्रद्धांजलि दी। एनसीपी के जयंत पाटिल, छगन भुजबल और कांग्रेस के भाई जगताप शिवाजी पार्क पहुंचे थे। 2014 में एनसीपी ने महाराष्ट्र में फडणवीस सरकार को समर्थन देने का ऐलान करके सबको चौंका दिया था लेकिन इस बार पार्टी शुरू से ही बीजेपी से दूरी बनाए हुए है। एनसीपी प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा, 'सरकार बनाने में कुछ वक्त लग सकता है कि क्योंकि हमारी पहली प्राथमिकता पांच साल चलने वाली स्थिरता बनाना है।' एनसीपी नेता ने दावा किया कि बीजेपी के मुकाबले शिवसेना ज्यादा बेहतर है। उन्होंने कहा, 'शिवसेना ईंट और बीजेपी पत्थर है। ईंट हमेशा पत्थर के मुकाबले नरम होती है।' पाटिल ने यह भी दावा किया कि जो एनसीपी नेता चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल होकर विधायक बन गए हैं, वे भी पार्टी के संपर्क में हैं। इसके अलावा कुछ निर्दलीय भी एनसीपी के साथ आना चाहते हैं। उन्होंने कहा, '14-15 विधायक हमारे संपर्क में हैं, लेकिन मैं उनका नाम बताकर उनके लिए मुश्किलें नहीं खड़ी करना चाहता हूं।'

एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा कि सोनिया गांधी और शरद पवार की मुलाकात के बाद मंगलवार को कांग्रेस-एनसीपी के नेताओं की भी मुंबई में बैठक होगी। इस बैठक में दोनों दलों के नेता सोनिया गांधी और पवार के बीच हुई बाचतीत से निकले निष्कर्षों से आगे का रास्ता तैयार करेंगे। नवाब मलिक ने बताया कि एनसीपी कोर कमिटी ने फैसला किया है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन का अंत हो और एक वैकल्पिक सरकार की स्थापना की जानी चाहिए।


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