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अलवर की अपर जिला सत्र न्यायालय  ने बुधवार को 2017 के पहलू खान मॉब लिंचिग मामले में छह आरोपियों को पुलिस जांच में गंभीर कमियों के चलते संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया। न्यायाधीश ने अपने निर्णय में पुलिस जांच में कई तरह की कमियों का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसी कमियों के कारण मामले में संदेह पैदा हुए और आरोपियों को संदेह का लाभ लेने का अवसर मिला।
अदालत ने बुधवार को अपने निर्णय में पहलू खान हत्या मामले के छह बालिग आरोपियों विपिन यादव, रविन्द्र कुमार, कालूराम, दयानंद, योगेश और भीम सिंह राठी को संदेह का लाभ देकर बरी किया। न्यायालय ने जांच में लापरवाही को इंगित किया है। अदालत ने अपने निर्णय में बताया कि छह आरोपियों के नाम पहलू खान और अन्य शिकायतकर्ताओं के पर्चा बयान में दर्ज नहीं थे। आरोपियों की पहचान वीडियो के आधार पर की गई थी लेकिन जांच अधिकारी रमेश सिनसिवार ने वीडियो जिस उपकरण से बनाया गया था उसे जब्त नहीं किया। जिन लोगो पर आरोप लगे थे उनकी पहचान शिकायतकर्ताओं द्वारा नहीं की गई जिसे सीआरपीसी की धारा 161 के तहत किया जाना चाहिए था।
इसके साथ साथ सिनसिनवार द्वारा अस्पताल में पहलू खान के दर्ज किये गये बयान के बाद अस्पताल के चिकित्सक से यह प्रमाण पत्र हासिल नहीं किया जिससे यह प्रमाणित हो सके कि पहलू खान बयान देने की स्थिति में थे या नहीं। जांच अधिकारी ने बयान दर्ज होने के 16 घंटे बाद बयान पुलिस थाने में पेश किये जो गंभीर लापरवाही को दर्शाता है।
जयपुर-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग के बहरोड थाना क्षेत्र में 1 अप्रैल 2017 को पहलू खान, उनके दो पुत्रों और अन्य लोगों द्वारा गोवंश के परिवहन के दौरान की गई मारपीट के समय सिनसिनवार बहरोड के थानाधिकारी थे। पहलू खान की 3 अप्रैल 2017 को उपचार के दौरान मौत हो गई।
सात अप्रैल 2017 को वृत्ताधिकारी परमल सिंह को स्थानांतरित कर दी गई थी। सिंह ने रविन्द्र कुमार के मोबाइल को जब्त किया था। इस मोबाइल का उपयोग घटना की एक अन्य वीडियो बनाने के लिये काम में लिया गया था, लेकिन मोबाइल फोन और उसका मेमोरी कार्ड को जांच के लिये फोरेंसिक प्रयोगशाला में नहीं भेजा गया। मोबाइल के मालिकाना हक को प्रामाणिक करने के कोई दस्तावेज नहीं थे और मोबाइल जब्ती के दौरान स्वतंत्र गवाह बयान से पलट गया। मामले की जांच वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली पूर्व भाजपा सरकार के दौरान की गई थी।
अदालत के निर्णय के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार एडीजे के आदेश के खिलाफ अपील दायर करेगी। गहलोत ने बुधवार रात एक टृवीट के जरिये कहा कि हमारी सरकार ने अगस्त के पहले सप्ताह में ही मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाया है। हम पहलू खां के परिवार को न्याय दिलाने के लिये प्रतिबद्ध हैं। राज्य सरकार एडीजे के आदेश के खिालफ अपील दायर करेगी।
अलवर के बहरोड थाना क्षेत्र में घटना के संबंध में सात मामलें दर्ज किये गये थे। पहलू खान की हत्या को लेकर एक मामला दर्ज किया गया था और छह मामले गौवंश को अवैध रूप से परिवहन करने के खिलाफ दर्ज किये गये थे। पुलिस के अनुसार कथित अपराध में छह वाहन इस्तेमाल किये गये थे।

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