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मुंबई : केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने आईआईटी बॉम्बे के मंच पर दावा किया कि चरक ऋषि ने अणु-परमाणु की खोज की थी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर बोलने वाले कंप्यूटर अस्तित्व में आए तो यह संस्कृत की मदद से संभव होगा। निशंक के दावे को स्टूडेंट्स ने तथ्यों से परे बताया। स्टूडेंट्स का कहना है कि निशंक ने भाषण में जो कुछ भी बोला, वह इंटरनेट पर वायरल होने वाली अफवाह भर थी। 

आईआईटी बॉम्बे के ग्रैजुएशन बैच को संबोधित करते हुए निशंक ने कहा, 'नासा भी मानता है कि संस्कृत प्रोग्रामिंग के लिए सबसे अधिक साइंटिफिक लैंग्वेज है।' उन्होंने आगे कहा, 'नासा ने कहा था कि निकट भविष्य में अगर बोलने वाले कंप्यूटर वास्तविकता बनते हैं तो यह केवल संस्कृत के बल पर ही संभव हो सकेगा। अन्यथा कंप्यूटर क्रैश हो जाएंगे क्योंकि संस्कृत एक वैज्ञानिक भाषा है।' रमेश पोखरियाल आईआईटी बॉम्बे के 57वें दीक्षांत समारोह के दौरान संबोधित कर रहे थे। 

छात्रों ने कहा कि एक साल पहले इंटरनेट पर नासा के मिशन संस्कृत से जुड़ा एक मिथक वायरल हो रहा था। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री का संबोधन में इंटरनेट पर वायरल तथ्य शामिल थे जिनका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं था। इसके बाद सोशल मीडिया पर निशंक के भाषण पर प्रतिक्रियाएं आनी लाजिमी थी। एक छात्र ने ट्वीट किया, 'समय आ गया है कि पब्लिक फोरम पर भाषण देने से पहले उसे फैक्ट चेकर से प्रमाणित कराया जाए।' 

एक दूसरे ट्वीट में अन्य यूजर ने लिखा, 'आईआईटी बॉम्बे दीक्षांत समारोह में एचआरडी मंत्री आरपी निशंक सत्य का उजागर कर रहे हैं। वैदिक काल में साधुओं ने स्पेस शटल की खोज की थी। नासा ने आधिकारिक रूप से इसे स्वीकार किया था।' पोखरियाल ने कार्यक्रम के दौरान कहा, 'जब संसार में कुछ नहीं था, तब हमारे पास तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला था ज्ञान और विज्ञान के आधार हुआ करते थे।'  कार्यक्रम के दौरान निशंक ने यह भी दावा किया कि आयुर्वेद में अपना महान योगदान देने वाले चरक ऋषि ने सबसे पहले अणु और परमाणु की खोज की थी। उन्होंने कहा, 'किसने सबसे पहले अणु और परमाणु पर शोध किया था? चरक ऋषि ही वह पहले शख्स थे जिसने अणु-परमाण पर सर्वप्रथम रिसर्च किया और उनकी खोज की थी।' 


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