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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुषमा स्वराज के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए उनके आवास पहुंचे हैं। पीएम मोदी ने इस दौरान सुषमा स्वराज की बेटी और उनके पति समेत अन्य परिजनों से मुलाकात की और उन्हें ढांढस बंधाया। इस दौरान पीएम मोदी भावुक हो गए और बड़ी मुश्किल से अपने आंसू रोक पाए।। पीएम मोदी से पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु, मुलायम सिंह, रामगोपाल यादव समेत कई नेता श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे।


सुषमा स्वराज के निधन पर विभिन्न राजनेताओं ने गहरा दुख व्यक्त किया है। नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी, टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन और बसपा सुप्रीमो मायावती समेत कई राजनेता और विभिन्न जगत की हस्तियां ने सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि अर्पित कीबता दें कि पूर्व विदेश मंत्री एवं भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज का मंगलवार रात निधन हो गया। वह 67 वर्ष की थीं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के सूत्रों ने बताया कि स्वराज को रात करीब साढ़े नौ बजे यहां अस्पताल लाया गया और उन्हें सीधे आपातकालीन वॉर्ड में ले जाया गया। एम्स के चिकित्सकों ने बताया कि हृदय गति रुकने से उनका निधन हो गया।


पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुषमा स्वराज की पार्थिव देह बुधवार को तीन घंटे के लिए भाजपा मुख्यालय में रखी जाएगी जहां पार्टी कार्यकर्ता और नेता उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अंतिम संस्कार लोधी रोड स्थित शवदाह गृह में किया जाएगा।

पीएम मोदी ने श्रद्धांजलि अर्पित की

विदेश मंत्री के रुप में पूरी दुनिया में पायी ख्याति

विदेश मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारत-पाक और भारत-चीन संबंधों सहित रणनीतिक रूप से संवेदनशील कई मुद्दों को देखा और बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभाई।भारत और चीन के बीच डोकलाम गतिरोध को दूर करने में उनकी भूमिका को हमेशा याद रख जाएगा। स्वराज की तारीफ हर राजनीतिक दल के लोग करते थे। लोग उनकी भाषण कला को पसंद करते थे। वह जब संसद में बोलती थीं तो सदस्य उन्हें गंभीरता के साथ सुनते थे।


7 बार संसद सदस्य और 3 बार विधानसभा सदस्य के रुप में चुनी गईं

विधि स्रातक स्वराज ने उच्चतम न्यायालय में वकालत भी की। वह सात बार संसद सदस्य के रूप में और तीन बार विधानसभा सदस्य के रूप में चुनी गईं। स्वराज के पास केंद्रीय मंत्रिमंडल में दूरसंचार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और संसदीय कार्य विभागों जैसी जिम्मेदारियां भी रहीं। उनका विवाह उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता स्वराज कौशल से हुआ था जो 1990 से 1993 तक मिजोरम के राज्यपाल रहे। कौशल भी 1998 से 2004 तक संसद सदस्य रहे।स्वराज को उत्कृष्ट सांसद का पुरस्कार भी मिला था।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अर्पित की श्रद्धांजलि

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सुषमा स्वराज के अंतिम दर्शनों के लिए पहुंच

बेल्लारी से सोनिया गांधी के खिलाफ लड़ा था चुनाव

चुनौतियां स्वीकार करने को हमेशा तत्पर रहने वाली स्वराज ने 1999 के लोकसभा चुनाव में बेल्लारी सीट से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। उन पर वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी का स्रेह रहता था। वह 2009 से 2014 तक लोकसभा में नेता विपक्ष भी रहीं।


आरएसएस की छात्र ईकाई एबीवीपी से की थी राजनैतिक करियर की शुरुआत

राजनीतिक जीवन की शुरुआत आरएसएस की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी और बाद में वह भाजपा में शामिल हो गईं। वह 1996 में 13 दिन तक चली अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री थीं और 1998 में वाजपेयी के पुन: सत्ता में आने के बाद स्वराज को फिर कैबिनेट मंत्री बनाया गया

कई हस्तियां राजनेता श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंच रहें


कैलाश सत्यार्थी और टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने दी अंतिम श्रद्धांजलि


इंदिरा गांधी के बाद देश की दूसरी महिला विदेश मंत्री थीं गांधी के बाद देश की दूसरी महिला विदेश मंत्री थीं। स्वराज को हरियाणा सरकार में सबसे युवा कैबिनेट मंत्री होने का श्रेय भी मिला था। इसके साथ ही दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश में किसी राष्ट्रीय राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता होने का श्रेय भी सुषमा स्वराज को जाता है।

सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि देने पहुंची बसपा सुप्रीमो मायावती

बसपा सुप्रीमो मायावती ने सुषमा स्वराज के परिजनों से मुलाकात की और उन्हें ढांढस बंधा


स्वास्थ्य कारणों से नहीं लड़ी थीं लोकसभा चुनाव


वर्ष 2016 में उनका गुर्दा प्रतिरोपण हुआ था और उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से लोकसभा का चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। इस बार वह मोदी सरकार का हिस्सा नहीं थीं और विदेश मंत्री के रूप में एस जयशंकर को उनकी जगह मिली। उन तक आसानी से पहुंचा जा सकता था। उनकी छवि एक ऐसे विदेश मंत्री के रूप में बन गई थी जो सोशल मीडिया के जरिए सूचना मिलते ही विदेश में फंसे किसी भारतीय की मदद के लिए तुरंत सक्रिय हो जाती थीं


अंतिम ट्वीट में अनुच्छेद 370 को लेकर जतायी थी खुशी


जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्वीट कर बधाई दी। यह 'मृत्यु' का आभास था या कुछ और कि उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, ''अपने जीवनकाल में मैं इस दिन को देखने का इंतजार कर रही थी।'' इस ट्वीट के कुछ घंटे बाद हृदय गति रुक जाने से यहां स्थित एम्स में उनका निधन हो गया। वह 67 साल की थीं।

प्रखर और ओजस्वी वक्ता और जननेता के रुप में थी सुषमा स्वराज की पहचान


सुषमा स्वराज भाजपा की एक ऐसी हस्ती थीं जिन्होंने न सिर्फ एक प्रखर वक्ता के रूप में अपनी छवि बनाई, बल्कि उन्हें 'जन मंत्री' कहा जाता था। इतना ही नहीं वह जब विदेश मंत्री बनीं तो उन्होंने आम आदमी को विदेश मंत्रालय से जोड़ दिया। वह सिर्फ एक ट्वीट पर विदेश में फंसे किसी भारतीय की मदद के लिए तुरंत सक्रिय हो जाती थीं।

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