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''ईस्टर के दिन हमले के बाद हमारी बस्ती के ग़ैर मुसलमान लोग हमें आतंकवादी की तरह देखते हैं.'' एमएचएम अकबर ये कहते हुए श्रीलंका में ईस्टर के दिन हमले का ज़िक्र कर रहे हैं. इस हमले में 250 लोगों की मौत हो गई थी और इसका ज़िम्मेदार एक मुस्लिम कट्टरपंथी समूह को बताया गया. दुनिया भर के मुसलमान रमज़ान के महीने में उपवास रखते हैं और प्रार्थना करते हैं लेकिन श्रीलंका में मुसलमानों के एक छोटे समूह ने ख़ुद को हिंसक समूहों से अलग दिखाने के लिए एक मस्जिद तोड़ दी. अकबर ख़ान मदतुंगमा की मुख्य मस्ज़िद के ट्रस्टी हैं. उन्होंने बीबीसी को बताया कि आख़िर क्यों अल्लाह में यक़ीन रखने वाले लोगों ये ऐसा क़दम उठाया. अकबर कहते हैं, ''इस हमले के बाद पुलिस मस्ज़िद पर अक्सर आया करती थी. इसे देखकर लोग परेशान होने लगे. इस हमले ने हमारे और दूसरे समुदाय के बीच विश्वास बेहद कम कर दिया. ''

कथित तौर पर इस मस्जिद का उपयोग प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन तौहीद ज़मात (NTJ) के सदस्यों द्वारा किया जाता था, समूह को पर अप्रैल में द्वीपीय देश पर आत्मघाती विस्फोट करने का संदेह था. ईस्टर में हमले के बाद श्रीलंकाई सरकार ने पूरे देश में तौहीद ज़मात को टारगेट करते हुए कार्रवाई शुरू कर दी थी. इस संगठन की ओर से पूर्वी शहर कट्टनकुड़ी में एक मस्ज़िद चलाई जा रही थी जिसे सील कर लिया गया. मदतुंगामा में ये मस्जिद ऐतिहासिक, धार्मिक या सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण नहीं थी. यह एक अलग अति-रूढ़िवादी समूह द्वारा संचालित की जा रही थी जिसका इस हमले से कोई ताल्लुक नहीं था. इस क़दम से पता चलता है कि चरमपंथियों से छुटकारा पाने के लिए इस समुदाय के लोग किस हद तक जाने को तैयार हैं. अकबर बताते हैं, ''हमारे इलाक़े में पहले से ही एक मस्ज़िद थी, जिसमें लोग नमाज़ अदा करते थे. लेकिन कुछ साल पहले कुछ लोगों के समूह ने इस मस्ज़िद को बनाया था.'' मई महीने में पुरानी मस्ज़िद के एक सदस्य ने एक बैठक बुलाई, जिसमें तय हुआ कि ये मस्ज़िद जो इस सारे विवाद की जड़ है उसे ख़त्म कर दिया जाए. स्थानीय लोगों ने हाथों में हथौड़ा लिए इस मस्ज़िद को तोड़ दिया. वो कहते हैं, ''हमने इसकी मीनारें और नमाज़ अदा करने वाला कमरा तोड़ दिया और इस जगह को उनके हवाले कर दिया जो इसके असल हक़दार हैं.'' लगभग 70 फ़ीसदी श्रीलंका की आबादी बौद्ध धर्म मानती है और ये सभी लोग सिंहली भाषा बोलते हैं. 12 फ़ीसदी आबादी के साथ हिंदू देश में दूसरा सबसे बड़ा समुदाय हैं. इसके बाद 10 फ़ीसदी आबादी के बाद मुसलमान तीसरे नंबर और 7 फ़ीसदी आबादी के साथ ईसाई तीसरे नंबर पर आते हैं. ज़्यादातर मुसलमान तमिल भाषा बोलते हैं लेकिन जटिल राजनीतिक और ऐतिहासिक कारणों के कारण, मुस्लिम ख़ुद को अन्य तमिल बोलने वालों से अलग जातीय समूह के रूप में मानते हैं.

ईश्वर का बसेरा

लेकिन इस क़दम को कई लोग सही नहीं मान रहे हैं. इस्लाम के धार्मिक मुद्दों पर मुख्य अथॉरिटी मानी जाने वाली संस्था सीलोन जमायतुल उलेमा का मानना है कि प्रार्थना की जगह को इस तरह तोड़ा नहीं जाना चाहिए. उन्होंने एक बयान में कहा, ''सभी मस्जिदें अल्लाह की हैं, इसका प्रबंधन कौन कर रहा है, इसके इतर इसे नष्ट करना और नुक़सान पहुंचाना इस्लाम के ख़िलाफ़ है."

सरकारी रिकॉर्ड कहते हैं कि श्रीलंका में 2596 मस्जिदें पंजीकृत हैं, जिनमें से 2435 काम कर रही हैं. दर्जनों ग़ैर-पंजीकृत मस्जिदें भी हैं, जिनमें से कुछ को कौन चला रहा था इसका कुछ पता नहीं है.


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