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जाने-माने कन्नड़ साह‍ित्याकार, रंगकर्मी, एक्टर ग‍िरीश  कर्नाड  का 81 साल की उम्र में सोमवार को बेंगलुरु में निधन हो गया. उनके न‍िधन की वजह मल्टीपल ऑर्गेन का फेल होना है. ग‍िरीश कर्नाड लंबे समय से बीमार चल रहे थे. प‍िछली कुछ महीनों से उनका इलाज चल रहा था.

ग‍िरीश कर्नाड को 1978 में आई फिल्म भूमिका के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला था. उन्हें 1998 में साह‍ित्य के प्रत‍िष्ठ‍ित ज्ञानपीठ अवॉर्ड से नवाजा गया था. ग‍िरीश कर्नाड ऐसे अभ‍िनेता हैं ज‍िन्होंने कमर्शियल स‍िनेमा के साथ समानांतर स‍िनेमा के ल‍िए भी जमकर काम किया.

गिरीश कर्नाड बहुंमुखी प्रतिभा के धनी थे. 1960 के दशक में नाटकों के लेखन से कर्नाड को लोग पहचानने लगे. कन्नड़ नाटक लेखन में गिरीश कर्नाड की वही भूमिका है जो बंगाली में बादल सरकार, मराठी में विजय तेंदुलकर और हिंदी में मोहन राकेश जैसे दिग्गज नाटककारों की थी. लगभग चार दशक से ज्यादा समय तक कर्नाड ने नाटकों के लिए जमकर काम किया. कर्नाड ने अंग्रेजी के भी कई प्रतिष्ठित नाटकों का अनुवाद किया. कर्नाड के नाटक कई भारतीय भाषाओं में अनुदित हुए. कर्नाड ने हिंदी और कन्नड़ सिनेमा में अभिनेता, निर्देशक और स्क्रीन राइटर के तौर पर काम किया. उन्हें पद्मश्री और पद्म भूषण का सम्मान मिला. कर्नाड को चार फिल्म फेयर अवॉर्ड भी मिले.

कर्नाड के निधन से स‍िनेमा और साह‍ित्य जगत में शोक की लहर है. गिरीश ने कन्नड़ फिल्म संस्कार(1970) से अपना एक्टिंग और स्क्रीन राइटिंग डेब्यू किया था. इस फिल्म ने कन्नड़ सिनेमा का पहले प्रेजिडेंट गोल्डन लोटस अवार्ड जीता था. बॉलीवुड में उनकी पहली फिल्म 1974 में आयी जादू का शंख थी. गिरीश कर्नाड को सलमान खान की फिल्म एक था टाइगर और टाइगर ज़िंदा है के लिए जाना जाता है. इसके अलावा उन्होंने बॉलीवुड फिल्म निशांत (1975), शिवाय और चॉक एन डस्टर में भी काम किया था.


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