12वीं पास सरगना चला रहा था फर्जी कॉल सेंटर, गिरोह में शामिल थीं तीन युवतियां
गाजियाबाद जिले की इंदिरापुरम पुलिस और गौतमबुद्धनगर पुलिस ने कई तरह की पॉलिसी करने के नाम पर लोगों से ठगी करने वाले फर्जी कॉल सेंटर का खुलासा किया है। पुलिस ने तीन युवतियों समेत 15 लोगों को शक्ति खंड दो स्थित बिल्डर फ्लैट में चल रहे फर्जी कॉलसेंटर से गिरफ्तार किया है। पुलिस ने 6.30 लाख रुपये, 36 मोबाइल, 28 डेबिट कार्ड समेत कई दस्तावेज बरामद किए हैं।
आठ माह से यह कॉल सेंटर चल रहा था। आरोपी अभी तक करीब दो करोड़ रुपये का चूना लाग चुके हैं। पुलिस गिरोह के फरार सरगना की तलाश में दबिश दे रही है। इंदिरापुरम एएसपी अपर्णा गौतम ने बताया कि ग्रेटर नोएडा निवासी हरजीत सिंह नाम के व्यक्ति से पॉलिसी कराने के नाम पर करीब 50 लाख रुपये की ठगी की गई थी।
एएसपी ने बताया कि पकड़े गए आरोपी सोनू निवासी जहांगीराबाद, बुलंदशहर, विक्की धवन निवासी फरीदाबाद, राकेश निवासी न्यू कोंडली दिल्ली, प्रिंस वर्मा निवासी बहरामपुर विजय नगर, रवि कुमार निवासी ब्रह्मपुरी दिल्ली, मौ. कासिम, अनस मिर्जा, शिप्रांसु यादव निवासी खोड़ा कॉलोनी, सूर्याकांत निवासी वाजिदपुर सेक्टर-62 नोएडा, शोएब निवासी सीलमपुर दिल्ली, संजय, कपिल, रचना निवासी मंडावली दिल्ली, निशा निवासी बड़ौत बागपत, रेनू निवासी शाहदरा दिल्ली हैं।
कॉल सेंटर से पुलिस की टीम ने 6.30 लाख रुपये, 36 मोबाइल, 10 हजार बीमा धारकों का डाटा, 28 डेबिट-क्रेडिट कार्ड, नौ आधार कार्ड, सात पेन कार्ड, चार वोटर आईकार्ड, नौ चेक बुक और पासबुक समेत अन्य सामान बरामद किया।
बीमा कंपनी और डाटा वेंडर से खरीदते थे डाटा
एएसपी ने बताया कि आरोपी बीमा कंपनियों और डाटा वेंडरों से ग्राहकों के डाटा खरीदते थे। इसके बाद लोगों से संपर्क करते थे। जिनकी पॉलिसी की किस्त नहीं जमा हो पाती थी उनसे पॉलिसी बंद होने का झांसा देकर रिन्यू कराने या दूसरी पॉलिसी देने का झांसा देकर फर्जी खातों में रुपये डलवाते थे।
यह सभी खाते बीमा कंपनियों के नाम से मिलता-जुलता होता था। खाते में रुपये आते ही शातिर ठग खाते से रुपये निकाल लेते थे। शातिरों के पास कई खाते ऐसे मिले हैं, जिनके एवज में वह खाता धारक को हर माह 10 फीसदी भुगतान करते थे।
12वीं पास सरगना चला रहा था फर्जी कॉल सेंटर
गिरफ्तार आरोपियों ने पुलिस को बताया कि कॉल सेंटर फरीदाबाद निवासी रूपेश राजपूत कई साल से चला रहा है। वह केवल 12वीं पास है। रूपेश ही कर्मचारियों को ग्राहकों का डाटा लाकर देता था। जांच में पुलिस को डॉटा बेचने वाले कुछ लोगों की जानकारी मिली है। पुलिस उनकी भी तलाश कर रही है। एएसपी अपर्णा गौतम ने बताया कि 2015 में नोएडा में ठगी का कॉल सेंटर खोला गया था।
छापेमारी के बाद वह बंद हो गया और बिना नाम के अन्य जिले और राज्यों में कॉल सेंटर खोले गए। गिरफ्तार आरोपी विक्की धवन रूपेश का काम संभालता था। कॉल सेंटर में काम करने वाले कर्मचारियों को 10 से 15 हजार रुपये वेतन दिया जाता था। लक्ष्य पूरा करने पर कर्मचारियों को एक से पांच फीसदी इनसेंटिव भी मिलता था।