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ज्वलनशील पदार्थ, फ्लेक्स एवं टायरों की मौजूदगी, ऐसी कुछ वजहें थीं जिन्होंने सूरत (Surat) के वाणिज्यिक परिसर में लगी आग को भड़काने का काम किया तथा दमकल की गाड़ियों के घटनास्थल से काफी दूर होने के कारण आग बुझाने के अभियान में रुकावट आयी। गुजरात के मुख्य सचिव(Gujarat Chief Secretary) जेएन सिंह ने रविवार को यह जानकारी दी।
सूरत के सरथना (sarthana) इलाके में चार मंजिला कला एवं शिल्प कोचिंग संस्थान तक्षशिला आर्केड(Art and Craft Coaching Institute Takshila Arcade) में शुक्रवार को लगी भीषण आग में 18 छात्राओं समेत 22 छात्रों की मौत हो गयी।सिंह ने बताया कि शुरुआती जांच में यह खुलासा हुआ कि उच्च ज्वलनशील सामग्री के इस्तेमाल और कोचिंग की कक्षाओं में कुर्सी के रूप में टायरों के इस्तेमाल की वजह से आग तेजी से फैली।
मुख्य सचिव ने यहां पत्रकारों से कहा कि आग बहुत तेजी से फैली क्योंकि कोचिंग संस्थान में छत के लिये फ्लेक्स जैसी उच्च जवलनशील सामग्री का इस्तेमाल हुआ था, जो महज पांच फुट ऊंची थी। चूंकि ऐसे कमरे में कोई कुर्सी पर नहीं बैठ सकता था, इसलिए कोचिंग के मालिक ने छात्रों के बैठने के लिये कुर्सियों की जगह टायरों का इस्तेमाल किया था।
उन्होंने कहा कि उच्च क्षमता वाली दमकल की गाड़ियों के घटनास्थल पर पहुंचने में देरी हुई, जो वहां से 45 मिनट की दूरी पर थीं। इसकी वजह से भी कुछ हद तक आग बुझाने का अभियान प्रभावित हुआ। बहुमंजिला इमारतों में आग बुझाने के मकसद से नगर निगम के पास उच्च क्षमता वाली दमकल की गाड़ियां हैं। संस्थान के मालिक भार्गव भूटानी को शनिवार को गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि इमारत के मालिक हर्षुल वेकारिया और जिग्नेश पघदल फरार हैं।
सिंह ने बताया कि सूरत अग्निशमन विभाग के दो अधिकारियों एसके आचार्य और कीर्ति मोद को काम में लापरवाही बरतने के लिये निलंबित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने शहरी विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव मुकेश पुरी को इस संबंध में जांच कर सोमवार तक रिपोर्ट देने को कहा है।


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