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मुंबई, आत्महत्याओं के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए हेल्पलाइन शुरू की गई है। राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम हेल्पलाइन नंबर को इंडियन साइकियाट्रिक सोसायटी (आईपीए) ने जारी किया है। यह हेल्पलाइन नंबर रात आठ से दोपहर १२ बजे तक कार्यान्वित रहेगा। इसके साथ ही आनेवाले समय में इसे २४ घंटे सातों दिन क्षेत्रीय भाषाओं में शुरू करने की योजना तैयार की जा रही है, वहीं बताया गया है कि इस हेल्पलाइन नंबर पर छह घंटे में ही आत्महत्याओं से संबंधित १७ कॉल आ चुके हैं।
डॉक्टरों के मुताबिक आत्महत्या की रोकथाम से संबंधित जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है। उनके मुताबिक यहां हर सेकंड में कम से कम दो से तीन लोग अपनी जान दे देते हैं। ऐसे में इस तरह के कठोर कदम उठानेवाले कारणों को जड़ से खत्म करने की जरूरत है।
आईपीएस के अध्यक्ष डॉ. गौतम साहा ने कहा कि आमतौर पर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित लोग मनोचिकित्सकों से परामर्श लेने से कतराते हैं। हालांकि अक्सर इस तरह के हेल्पलाइन नंबरों के माध्यम से वे बात करना पसंद करते हैं। उन्होंने कहा कि यह हेल्पलाइन नंबर जीवन से निराश हो चुके लोगों को पूरी तरह से ठीक करने में मदद तो नहीं कर सकता है लेकिन यह काफी हद तक कारगर साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि अगर हम आंकड़ों पर जाएं तो हिंदुस्थान और चीन में अकेले ५४ प्रतिशत से अधिक आत्महत्याओं के मामले सामने आते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे कई मुद्दे हैं, जो लोगों को अपनी जान देने के लिए प्रेरित करते हैं। उनमें वित्तीय घाटा, लंबे समय तक अलगाव, प्रियजनों की मृत्यु और अन्य तनाव जो बढ़ जाते हैं। इन वजहों से कई लोग निराशा की ओर धंसते चले जाते हैं। कुछ मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन नंबरों में लगभग ५० प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
आईपीएस के डायरेक्ट काउंसिल सदस्य डॉ. अमृत पट्टोजोशी ने कहा कि इस हेल्पलाइन नंबर १८००५३२०८०७ को पायलट आधार पर लॉच किया है। इसे चौबीसों घंटे कार्यान्वित करने की योजना है। उन्होंने कहा कि जल्द ही यह विभिन्न भाषाओं में भी उपलब्ध कराया जाएगा।


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