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मुंबई, किसी भी नई बीमारी की जांच और उसके इलाज में मनपा का कस्तूरबा अस्पताल हमेशा आगे रहा है। वहां मौजूदा समय में तीन प्रयोगशालाएं (लैब) हैं, जिनमें क्लिनिकल प्रयोगशाला, माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशाला और बायोकेमिस्ट्री प्रयोगशाला का समावेश है। जिस इमारत में ये प्रयोगशालाएं हैं, वह अब जर्जर हो चुकी है। इस इमारत के पुनर्विकास के लिए मनपा ने तैयारी दर्शाई है, इसके लिए मनपा ने एक प्रस्ताव पास किया है। यहां की तीनों प्रयोगशालाएं मुंबईकरों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। यदि ये बंद हो जाती हैं तो मुंबईकरों के लिए संकट खड़ा हो सकता है। ऐसे में मनपा ने विकल्प तलाशते हुए बगल में ही नई इमारत बनाने का पैâसला किया है। इस लैब के नए स्वरूप के निर्माण पर अरबों रुपए खर्च किए जाएंगे।
एक अधिकारी ने बताया कि क्लिनिकल लैब, माइक्रोबायोलॉजी लैब और बायोकेमिस्ट्री लैब में जांच की गतिविधियों को नहीं रोक सकते क्योंकि नियमित रूप से कोरोना मरीजों के सैंपल की जांच भी यहीं की जाती है। जब प्रयोगशाला भवन की मरम्मत का काम शुरू होगा तो प्रयोगशाला भवन को खाली कर दूसरी जगह शिफ्ट करना होगा। लैब की मशीनों को स्थानांतरित करते समय उन्हें बंद रखना पड़ता है। इससे मरीजों की बीमारी का इलाज प्रभावित होगा। इसलिए आवश्यक सेवा-सुविधाओं के साथ एक नई लैब स्थापित करने का निर्णय लिया गया है।
प्रशासनिक अधिकारी ने कहा कि लैब में इस्तेमाल होनेवाली मशीनें ५०० से १२०० किलो तक वजनी होती हैं और इन्हें एक जगह से दूसरी जगह सीढ़ियों से ले जाना मुश्किल होता है। यदि क्लिनिकल लैब, माइक्रोबायोलॉजी लैब और बायोकेमिस्ट्री लैब के लिए डायग्नोस्टिक सेवाएं किसी नए स्थान पर स्थापित की जाती हैं तो आवश्यक सेवा सुविधाएं बांधित नहीं होंगी।
मनपा का कस्तूरबा अस्पताल मुंबई का एकमात्र संक्रामक रोग का अस्पताल है। यहां इलाज के लिए रोजाना मुंबई और मुंबई के बाहर से बड़ी संख्या में मरीज आते हैं। अस्पताल में कुल ५१५ बेड्स की क्षमता है। यहां वर्ष१९९२ से जले हुए रोगियों के लिए एक अलग वार्ड शुरू किया गया है। इसी तरह स्वाइन फ्लू के मरीजों के इलाज के लिए दो अलग-अलग वॉर्ड बनाए गए हैं।


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