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मुंबई, पति-पत्नी का रिश्ता विश्वास पर टिका होता है लेकिन इंटरनेट और मोबाइल संस्कृति के युग में पश्चिमी सभ्यता के बढ़ते प्रभाव का असर अब हमारे देश में भी दिखने लगा है। अब विवाहेत्तर संबंधों और रिश्तों के टूटने यानी कि तलाक के मामलों बेतहाशा वृद्धि देखने को मिल रही है। विवाहेत्तर संबंधों के कारण हत्या और खुदकुशी के मामले भी आए दिन सामने आते हैं। हैरानी की बात ये है कि सात-जन्मों का साथ निभाने के बाद वर्षों साथ रहनेवाले पति या पत्नी द्वारा अपने जीवनसाथी की सांसें छीनने (हत्या) की घटनाएं अब आम हो गई हैं। कई बार तो हत्या इतनी नृशंसता पूर्वक की जाती है कि जिससे हैवानों की रूह भी कांप जाए।
दो साल पहले प्रेमी की मदद से पति का बेरहमी से कत्ल करनेवाली एक बेवफा बीवी को मध्यप्रदेश की एक अदालत ने उम्रवैâद की सजा सुनाई है। उक्त बेवफा बीवी ने प्रेमी के साथ जीवन गुजारने की मंसा के तहत पति से छुटकारा पाने के लिए खौफनाक साजिश रची थी। उसने पति की हत्या तो कर दी लेकिन वह अपने कुकर्म पर पर्दा नहीं डाल पाई और रंगे हाथ पकड़ी गई। नतीजतन अब वह और उसका कथित प्रेमी जिंदगीभर एक नहीं हो सकेंगे क्योंकि उसे आजीवन जेल में रहना होगा।
मामला मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले का है, जहां पहलवान यादव का परिवार रहता था। घर में पहलवान की पत्नी ३८ वर्षीय बेटा अजेंद्र तथा उसकी ३२ वर्षीय पत्नी कमलेश और उनके तीन बच्चे (१२ साल की बेटी तथा १० और ८ साल के दो बेटे) भी शामिल थे। अजेंद्र से कमलेश की शादी १४ साल पहले हुई थी। पहलवान ट्रक पर सहायक (क्लीनर) का काम करता था। वहीं पारिवारिक जिम्मेदारी बढ़ने के कारण अजेंद्र भी अपने कामकाज में व्यस्त रहने लगा और बच्चे भी थोड़े बड़े हो गए थे। वे अपनी पढ़ाई-लिखाई में मशगूल रहने लगे तो कमलेश को अकेलापन सताने लगा। इस दौरान खुद को तन्हा महसूस कर रही कमलेश की पीड़ा पड़ोस में रहनेवाले ध्रुवराज ने भांप ली और वह कमलेश पर डोरे डालने लगा। कमलेश और ध्रुवराज के बीच सामान्य बातों से शुरू हुआ बातचीत का सिलसिला धीरे-धीरे बढ़ने लगा। ध्रुवराज कमलेश की फिक्र करने के बहाने उसे प्रेमजाल में फांसने लगा और कमलेश भी खुद को रोक नहीं पाई। दोनों का रिश्ता जिस्मानी संबंधों तक पहुंच गया। नौबत ऐसी आ गई की कमलेश, ध्रुवराज के साथ जीवन बिताने के सपने देखने लगी और वह चाहती थी कि अजेंद्र ज्यादा से ज्यादा समय घर से बाहर रहे। बाद में कमलेश और ध्रुवराज ने अजेंद्र १६ जून, २०१९ की रात पहलवान यादव और बच्चे खाना खाकर सो गए थे। कमलेश और अजेंद्र भी अपने कमरे में सो रहे थे। रात में २ बजे के आसपास अचानक कुछ आवाजों के कारण पहलवान की नींद खुल गई। आवाज अजेंद्र के कमरे से आ रही थी लेकिन अजीब थी। पहलवान को शक हुआ तो वह अजेंद्र के कमरे तक पहुंच गया। दरवाजे के बाहर खड़े होकर उसने पहले भांपने का प्रयास किया तो उसके मन में उठ रही अनिष्ट की आशंकाओं को और बल मिला। किसी तरह जुगाड़ करके पहलवान ने कमरे में झांका तो पहलवान के होश उड़ गए। कमरे में अजेंद्र जमीन पर पड़ा था और उसके पास कमलेश के साथ ध्रुवराज भी वहां मौजूद था। इससे पहलवान का माथा ठनक गया। पहलवान ने दरवाजा खटखटाया तो हड़बड़ी में ध्रुवराज कमर से निकलकर भाग गया जबकि अजेंद्र बिस्तर पर अचेत ही पड़ा रहा। उसके हाथ-पांव बंधे हुए थे। वहां के हालात से पहलवान ने अनुमान लगाया कि कमलेश और ध्रुवराज, अजेंद्र को करंट लगा रहे थे।
पहलवान ने शोर मचाया तो दूसरे पड़ोसी भी वहां पहुंच गए। सभी लोग मिल कर अजेंद्र को अस्पताल ले गए। वहां डॉक्टरों ने अजेंद्र को मृत घोषित कर दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अजेंद्र की करंट लगने से मौत की पुष्टि हुई लेकिन ये भी पता चला कि मारने से पहले उसे नींद की गोली खिलाकर बेहोश किया गया था। पहलवान की शिकायत पर पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज करके कमलेश और ध्रुवराज को गिरफ्तार किया था। मध्य प्रदेश के शिवपुरी स्थित जिला अदालत में मामले की सुनवाई चल रही थी। हालांकि इस मामले में घटना के चश्मदीद गवाह रहे पहलवान बेटे की मौत का सदमा बर्दास्त नहीं कर पाए। बेटे की मौत के कुछ ही दिनों बाद पहलवान की भी मौत हो गई। लेकिन पुलिस की मेहनत और अजेंद्र की मां की गवाही की बदौलत अदालत ने कमलेश को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।


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