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मुंबई : महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने बृहस्पतिवार को बंबई उच्च न्यायालय में दलील दी कि कथित धन शोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) (ED) द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गई कार्रवाई दुर्भावनापूर्ण है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने न्यायमूर्ति नितिन जमादार और न्यायमूर्ति एस वी कोतवाल की पीठ को बताया कि जिस तरह से केंद्रीय एजेंसी ने उन्हें समन जारी किया और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) लगाया, वह देशमुख के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
चौधरी ने पीठ से ईडी की कार्यवाही रद्द करने का आग्रह किया। साथ ही देशमुख के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं किए जाने के संबंध में ईडी और सीबीआई को अंतरिम निर्देश देने का भी अनुरोध किया। उन्होंने यह भी कहा कि देशमुख को इलेक्ट्रॉनिक रूप से दस्तावेज सौंपने और अपना बयान देने की अनुमति दी जानी चाहिए और ईडी को देशमुख को व्यक्तिगत रूप से उसके सामने उपस्थित होने के लिए मजबूर करने से रोका जाना चाहिए।
देशमुख की याचिका के अनुसार, ईडी ने उनके खिलाफ 11 मई 2021 को मामला दर्ज किया और 25 जून को पहला समन जारी किया। वहीं, ईडी की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने कहा कि देशमुख के वकील को अंतरिम राहत के लिए इस अदालत के समक्ष दलील देने से रोका जाना चाहिए क्योंकि पूर्व मंत्री ने पीएमएलए के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में एक अलग याचिका दायर की है।


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