आदिवासियों के अलावा अतिक्रमण करके रहनेवाले पात्र लोगों को सुरक्षित स्थान पर बसाने का निर्णय
मुंबई, संजय गांधी नेशनल पार्क में रहनेवाली जनजातियों के लिए महाराष्ट्र सरकार ने अहम कदम उठाया है। अक्सर कई घटनाएं सामने आ रही हैं कि इंसानों की बस्तियों में जंगली जानवरों के हमले हो रहे हैं। इस मानव और वन्यजीव संघर्ष को खत्म करने के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। उन्होंने नेशनल पार्क के जंगल में रहनेवाले आदिवासियों के अलावा अतिक्रमण करके रहनेवाले पात्र लोगों को सुरक्षित स्थान पर बसाने का निर्णय लिया है। इस संबंध में उन्होंने संबंधित विभागों के अधिकारियों को वैकल्पिक स्थान ढूंढ़ने का निर्देश दिया है।
मुंबई में देखा गया है कि संजय गांधी नेशनल पार्क के आस-पास के रिहायशी इलाकों में जंगली जानवर आ जाते हैं और इंसानों पर हमला कर देते हैं। बीते दिनों एक बच्चे और महिला पर तेंदुए ने हमला किया। ऐसी स्थिति में जंगल में रहनेवाली जनजातियों का जीवन क्या होगा? इसे संज्ञान में लेते हुए मुख्यमंत्री ने महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। नेशनल पार्क के जंगल में रहनेवाले लोगों को सुरक्षित स्थान पर बसाया जाएगा और उन्हें मुख्यधारा में लाया जाएगा। साथ ही नेशनल पार्क के सुरक्षा घेरे को मजबूत किया जाएगा ताकि जंगली वन्यजीव इंसानी बस्तियों में न आ सकें। जंगली जानवरों को उनके इलाके में भोजन व पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था की जाएगी। यह निर्णय कल मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया। इसके लिए पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे की अगुवाई में एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने का भी निर्णय लिया गया है।
पार्क के बाहर पात्र अतिक्रमणकारियों के पुनर्वास के लिए फ्लैटों का निर्माण कार्य स्लम पुनर्वास प्राधिकरण को सौंपा गया है। कुल ११,३५९ अतिक्रमणकारियों का पुनर्वास किया गया है। शेष का पुनर्वास बाकी है। आरे कॉलोनी में दी गई ९० एकड़ जमीन पुनर्वास के लिए उचित नहीं है इसलिए मुख्यमंत्री ने वैकल्पिक जमीन की तलाश करके उनका पुनर्वास करने का निर्देश संबंधितों को दिया है। संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में ४३ आदिवासी बस्तियों में १,७९५ परिवार रहते हैं। इसके अलावा गैर-आदिवासी पात्र अतिक्रमणकारियों को फ्लैट दिए जाएंगे। कल ‘सह्याद्रि’ अतिथि गृह में हुई इस बैठक में उद्योग मंत्री सुभाष देसाई, पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे, सांसद गजानन कीर्तिकर, मनोज कोटक, राजन विचारे, सुनील प्रभु, रविंद्र वायकर सहित कई नेता और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।