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महाराष्ट्र : इन दिनों महाराष्ट्र में कोरोना वायरस फिर से तेजी पकड़ रहा है. पिछले कुछ दिनों में रोज 5 से 6 हजार नए कोरोना मामले सामने आ रहे हैं. हालांकि पिछले कुछ दिनों पहले यह आंकड़ा काफी ज्यादा था. लेकिन अब वायरस का जो Delta Plus Varient सामने आ रहा है, उससे संक्रमण का खतरा काफी ज्यादा बढ़ चुका है. अभी डेल्टा प्लस वेरिएंट के नाम से राज्यों में भय की स्थिति तो बनी ही हुई है. उसके साथ ही इसी बीच इस ग्रुप के तीन और नए वायरस सामने आए हैं, जिससे चिंता और भी ज्यादा बढ़ चुकी है. साथ ही इस वायरस के फैलने की वजह से आज देश एक और समस्या की ओर अग्रसर है.

अभी तक मुंबई में डेल्टा प्लस वेरिएंट के कुल 11 केस मिले हैं. मिली जानकारी के अनुसार, महाराष्ट्र के पूर्वी इलाके में एक 63 साल की महिला की मौत हो गई थी. इस महिला के परिवार से 6 और लोग कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं. इन लोगों में से कुछ लोगों में डेल्टा प्लस के संक्रमण का मामला भी सामने आया है. पिछले महीने महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में 69 साल की एक महिला की मौत भी कोरोना के इसी वेरिएंट से हुई. इसके अलावा रत्नागिरी में भी 80 साल की महिला की जान चली गई. इस महिला के मौत का कारण भी कोरोना का यही वेरिएंट रहा.

कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित महाराष्ट्र में अब तक कुल 66 मरीज मिल चुके हैं और उनमें से भी पांच की मौत हो चुकी है. संक्रमित इन 66 मरीजों में से कुछ मरीजों ने टीके की दोनों खुराक भी ले ली थी. राज्य के अलग-अलग हिस्सों से मरीजों के लिए गए सैंपल के जीनोम सीक्वेंसिंग जांच में ये मामले सामने आए. डेल्टा प्लस वेरिएंट के सबसे ज्यादा 13 मामले उत्तरी महाराष्ट्र के जलगांव से आए हैं. वहीं रत्नागिरि से 12 और मुंबई से 11 मामले आ चुके हैं. कुल मिलाकर महाराष्ट्र में डेल्टा प्लस वेरिएंट से संक्रमण का खतरा काफी बढ़ा है और ये खतरा अभी और भी ज्यादा बढ़ सकता है.

हाल ही में वायरस के जीनोम सीक्वेंसिंग से पता चला है कि महाराष्ट्र में डेल्टा प्लस वेरिएंट के कुल 66 केस हैं. इसमें डेल्टा प्लस वेरिएंट ग्रुप के तीन अलग-अलग रूप हैं- Ay.1, Ay.2 and Ay.3. अब, वैज्ञानिकों ने डेल्टा-प्लस के 13 और उप-वंशों की खोज की है, जो Ay.1, Ay.2, Ay.3 से शुरू होकर 13 तक पूरे हुए हैं. डेल्टा वेरिएंट में म्युटेशन के बाद डेल्टा-प्लस का जन्म हुआ था. ये डेल्टा के स्पाइक प्रोटीन में K417N नामक एक अतिरिक्त म्युटेशन के कारण बना है. जो कि संक्रमित कोशिकाओं के लिए वायरस के अटैचमेंट को बढ़ाता है.


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