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मुंंबई, बढ़ते बैड लोन और फाइनेंशियल दिक्‍कतों से जूझ रहे रुपी कोऑपरेटिव बैंक का महाराष्‍ट्र स्‍टेट कोऑपरेटिव बैंक के साथ मर्जर नहीं होगा. बैंकिंग रेगुलेटर रिजर्व बैंक ने इसकी मंजूरी नहीं दी है. सरकार की ओर से सोमवार को संसद में यह जानकारी दी गई. रूपी कोऑपरेटिव बैंक में बढ़ते बैड लोन के चलते आरबीआई ने इस पर सख्‍त प्रतिबंध लगाए हैं. आरबीआई ने बैंक के कामकाज के लिए सुधीर पंडित की अगुवाई में 5 सदस्‍यीय एडमिनिस्‍ट्रेटर बोर्ड नियुक्‍त किया गया  है. एडमिनिस्‍ट्रेटर तबतक बैंक का काम देखेंगे, जबतक इसका रिवाइवल या मर्जर नहीं हो जाता है.
लोक सभा में एक सवाल के जवाब में कहा गया कि आरबीआई को रूपी कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड का महाराष्‍ट्र स्‍टेट कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के साथ मर्जर का प्रस्‍ताव मिला था. आरबीआई की तरफ से इसी जांच करने के बाद इस प्रस्‍ताव में कोई मेरिट नहीं मिला. इसके बाद इसे मंजूरी नहीं दी. आरबीआई ने रजिस्‍ट्रार ऑफ कोऑपरेटिव सोसायटी, महाराष्‍ट्र को नियमानुसार इस मामले को देखने की सलाह दी है.
बैंक की वेबसाइट के मुताबिक, 31 मार्च 2020 तक बैंक का कुल डिपॉजिट 1289.72 करोड़ था, जबकि नेट लॉस 645.04 करोड़ रुपये था. रुपी बैंक में लंबे समय से चल रही दिक्‍कतों के चलते मर्जर का प्रस्‍ताव 2020 में सौंपा गया था. इस बैंक पर 2013 से प्रतिबंध हैं. इसका मुख्‍यालय पुणे में है. रुपी शेड्यूल्‍ड बैंक की कैटेगरी में है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले सरकारी बैंक में भी मर्जर का प्रस्‍ताव था, लेकिन अनिश्चितता के चलते उस पर कोई बात आगे नहीं बढ़ी है. इस बीच, बोर्ड ऑफ एडमिनिस्‍ट्रेटर्स ने नुकसान की भरपाई के लिए कई कदम उठाएं, जिसमें डिफॉल्‍टर्स की प्रॉपर्टी जब्‍त करने और क्रिमिनल कार्रवाई करने जैसे एक्‍शन शामिल थे. रिटेल बिजनेस में डायवर्सिफिकेशन को देखते हुए महाराष्‍ट्र कोऑपरेटिव बैंक के साथ मर्जर का प्रपोजल सौंपा गया था.  MSC एक प्रमुख कोऑपरेटिव बैंक है, जो एग्रीकल्‍चर और एग्री बिजनेस के लिए अधिकांश कर्ज देता है. 

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