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मुंबई, चांदा से बांदा तक समान शैक्षणिक गुणवत्तापूर्ण विकास के लिए सामाजिक दायित्व के अंतर्गत राज्य के उद्योगपति, कंपनियां, शिक्षा क्षेत्र में काम करनेवाली संस्थाएं और शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञ सहभागी होकर शैक्षणिक एवं बुनियादी सुविधाओं के विकास में योगदान दें, यह आह्वान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कल किया। स्कूली शिक्षा विभाग की ओर से सरकारी स्कूलों में ‘भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मॉडेल स्कूल’ उपक्रम के अंतर्गत आदर्श स्कूल के रूप में विकसित किए जा रहे हैं, इसके लिए ‘राजर्षि छत्रपति शाहू महाराज स्कूली शिक्षा परिवर्तन निधि’ के अंतर्गत सामाजिक दायित्व से सहभाग मिलने के लिए विभाग प्रयास कर रहा है। इसी प्रयास के एक भाग के रूप में कल मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने वीडियो कॉन्प्रâेंस के माध्यम से राज्य के उद्योगपतियों, शिक्षा क्षेत्र में काम करनेवाली संस्थाओं के प्रतिनिधि और इस क्षेत्र के विशेषज्ञों से बातचीत की।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि रोटी, कपड़ा, मकान इन बुनियादी जरूरतों के साथ अब शिक्षा भी अत्यावश्यक है, जिसे उत्तम शिक्षा मिलती है, वह खुद की क्षमताओं पर रोटी, कपड़ा और मकान भी प्राप्त कर सकता है इसलिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलना जरूरी है। इसमें शैक्षणिक गुणवत्ता वृद्धि के सभी प्रकार के यानी प्रशिक्षण और साहित्य निर्माण, ग्रंथालय, ई-पाठ्यक्रम का निर्माण, वर्चुअल क्लास रूम का निर्माण, विद्यालयों का संगणकीकरण, प्रशिक्षित विशेषज्ञों का मार्गदर्शन जैसे कार्यक्रम के साथ-साथ बुनियादी सुविधाओं के निर्माण में इस सामाजिक दायित्व से निवेश किया जा सकता है। किसी भी क्षेत्र में वे काम करने की इच्छा रख सकते है और इसका चयन वे पूरी तरह से अपनी पसंद के अनुसार कर सकते हैं। सरकार के सभी स्कूलों से सभी को समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलनी चाहिए, ऐसी अपेक्षा व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने इसके लिए सभी सहयोग अपेक्षित होने की बात कही।
मुख्यमंत्री ने छात्रों के बैग का बोझ कम करने के प्रयासों से वर्ष २०१४ में मुंबई महानगरपालिका के स्कूलों में कक्षा ८वीं से १०वीं तक का पाठ्यक्रम एस.डी. कार्ड के माध्यम से छात्रों को उपलब्ध कराया और इसके लिए उद्योगपतियों के सामाजिक दायित्व निधि की बड़ी मदद होने की बात भी उन्होंने इस मौके पर कही।



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