किलों के संरक्षण के लिए किलाप्रेमी विशेषज्ञों की समिति
मुंबई, दुर्ग (किला) प्रेमियों और अध्ययनकर्ताओं की एक मध्यवर्ती समिति गठित करके उनके सुझावों के आधार पर एक कारगर योजना बनाएं और राज्य के गढ़-किलों का चरणबद्ध तरीके से संरक्षण व संवर्धन किया जाए, ऐसा निर्देश मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने दिया है। पहले चरण में तोरणा, शिवनेरी, राजगड, सिंधुदुर्ग, विजयदुर्ग, सुधागढ़ को शामिल किया गया है। धीरे-धीरे अन्य किलों को भी इस योजना में शामिल किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कल राज्य के २५० किलाप्रेमियों और पर्वतारोहियों से वीडियो कॉन्प्रâेसिंग के माध्यम से बातचीत की और उनके सुझावों को सुना। इस बैठक का संचालन आदेश बांदेकर और मिलिंद गुणाजी ने किया। इस दौरान ‘अखिल महाराष्ट्र पर्वतारोहण महासंघ’ के अध्यक्ष उमेश झिरपे, गिरीश टकले सहित अन्य प्रख्यात पर्वतारोहियों और किला प्रेमियों ने अपने विचार व्यक्त किए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में किलों की पवित्रता बनाए रखते हुए उनका चरणबद्ध तरीके से संरक्षण करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। राज्य में किलाप्रेमी, दुर्ग संरक्षण करनेवाले और पर्वतारोही इस संबंध में अपने सुझाव एवं प्रस्ताव मुख्यमंत्री सचिवालय के संकल्प कक्ष को तुरंत भेजें। किलों के संरक्षण में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए आगे आएं और काम शुरू करें।
मुख्यमंत्री ने एक बार फिर से स्पष्ट किया कि किलों की पवित्रता को बनाए रखते हुए उनकी ऐतिहासिक और पुरातत्व विरासत से किसी भी प्रकार का समझौता किए बिना हमें यह काम करना है।
गढ़-किलों के संरक्षण का क्या अर्थ है और उनकी पवित्रता को वैâसे बनाए रखी जाए? इस पर सबसे पहले विस्तृत विचार किया जाए। पूरी दुनिया में शिवराय के गढ़-किलों का महत्व पहुंचाने के लिए ड्रोन जैसे उपकरणों का इस्तेमाल किया जाए और इनकी अच्छी तस्वीरें, वीडियो क्लिप विभिन्न माध्यमों से पूरी दुनिया में पहुंचाई जाए। गढ़-किला परिसर में एक केंद्र या संग्रहालय बनाकर किलों की पूरी जानकारी देना, केंद्र व राज्य के किलों के वर्गीकरणनुसार किलों के संरक्षण की योजना बनाना, किला क्षेत्र में जैव विविधता, प्रकृति, पशु-पक्षियों की देखभाल करना भी जरूरी हैै, ऐसा भी मुख्यमंत्री ने कहा। इस दौरान किलाप्रेमियों ने कई सुझाव दिए। इस मौके पर मुख्यमंत्री कार्यालय के अतिरिक्त मुख्य सचिव आशीष कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव विकास खारगे सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।