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मुंबई, भारतीय रेलवे प्राइवेट ट्रेन चलाने के लिए फाइनेंशियल बिड इसी महीने निकालने की योजना में है। फाइनेंशियल बिड का मतलब है कौन-सी पार्टी किस रूट की ट्रेन के लिए कितना पैसा दे सकती है? भारतीय रेल द्वारा प्राइवेट ट्रेनों को चलाने के लिए १५० रूट तय किए गए हैं और इनके लिए १२ क्लस्टर्स बनाए गए हैं। कोरोना की मौजूदा स्थिति के कारण योजना लंबित होती जा रही है और प्राइवेट वंâपनियों को फिलहाल लाभ की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। बहरहाल, भारतीय रेलवे निजी ट्रेनों को चलाने की योजना को लेकर स्पष्ट है और इसके लिए वंदे भारत ट्रेनों का उत्पादन भी बढ़ाया जा रहा है। देशभर में कोरोना के मामले कम होने के साथ ही भारतीय रेलवे द्वारा ट्रेनों की संख्या बढ़ाने की उम्मीद है और इन्हीं परिस्थियों के बीच एक बार फिर निजी ट्रेनों के लिए भी प्रयास तेज हो रहे हैं।
३० जून को बिड खुलने की संभावना
सूत्रों के अनुसार पिछले कुछ महीनों से इच्छुक प्राइवेट ऑपरेटर्स द्वारा रेलवे से समय मांगा गया था। मौजूदा स्थिति में जब आर्थिक हालात सही नहीं हैं, ऐसी स्थिति में कोई रिस्क नहीं उठाना चाहता है। बहरहाल, ३० जून को फाइनेंशियल बिड खुलने की संभावना है। ऑनलाइन प्रेस वार्ता के दौरान रेलवे बोर्ड के चेयरमैन सुनीत शर्मा ने बताया कि मौजूदा हालात को देखकर प्राइवेट पार्टियों ने रेलवे से कुछ वक्त मांगा था।
फाइनेंशियल बिड के लिए पहले मार्च २०२१ की डेडलाइन रखी गई थी, जिसे बाद में जून तक बढ़ाया गया था। भारतीय रेलवे १२ क्लस्टर में १५० ट्रेनों के लिए १०९ रूट खोलना चाहती है। सूत्रों के अनुसार पहले जितनी पार्टियां इसमें रुचि ले रही थीं, उनकी संख्या गिरकर करीब दस रह गई है। मुंबई-अमदाबाद तेजस एक्सप्रेस की स्थिति को देखने के बाद पार्टियों को ये योजना रिस्कवाली लग रही है। दूसरी ओर रेलवे को उम्मीद है कि प्राइवेट ट्रेनों से रेलवे की करीब ३० हजार करोड़ का निवेश मिलेगा।
जिस तरह विमानन कंपनियों में होड़ मची रहती है, वैसा ही बाजार रेलवे तैयार करना चाहती है। एक ही रूट पर विभिन्न ऑपरेटर्स की ट्रेन चलाई जाएगी। इसमें प्राइवेट ऑपरेटर्स द्वारा लिए जानेवाला शुल्क और दी जानेवाली सुविधा ऑपरेटर के लिए लाभ तय करेगी। किराए को फ्लेक्सी फेयर सिस्टम से तय किया जाएगा, जैसा हवाई वंâपनियों में होता है। डिमांड ज्यादा, किराया ज्यादा।
दिल्ली से बनारस और कटरा के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन चलाने के बाद एक बार फिर इसके उत्पादन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सूत्रों की मानें तो २०२२ के अंत तक कुछ और रेक मिलने की उम्मीद है। इनमें से २४ रेक को चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में बनाया जाएगा। १० रेक रेल कोच फैक्ट्री कपूरथला और १० रेक मॉडर्न कोच पैâक्ट्री रायबरेली में बनाए जाएंगे। इसी साल जनवरी में भारतीय रेलवे द्वारा वंदे भारत ट्रेन के नए रेक की डिजाइन, विकास, इंटीग्रेशन, सप्लाई, टेस्टिंग और उत्पादन के लिए टेंडर निकाला गया था।



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