नाले की सफाई के सर्वेक्षण और निगरानी के लिए ड्रोन का उपयोग
मुंबई, मानसून के दौरान जब उपनगरीय ट्रेन बंद पड़ जाती है, तब मुंबई को ब्रेक लग जाता है। मूसलाधार बारिश के दौरान ऐसी स्थिति न हो, इसके लिए रेलवे कुछ महीनों पहले से तैयारी करती है। ९ जून को पहली मूसलाधार बारिश में ही पश्चिम और मध्य रेलवे पर परेशानियां शुरू हो गई थीं। हर साल होनेवाली परेशानियों को देखते हुए अब रेलवे नाले सफाई के सर्वेक्षण और निगरानी के लिए ड्रोन का सहारा ले रही है। रेलवे की ओर से बताया गया कि इस तरह की तैयारियों से अब तक लाखों क्यूबिक टन कचरा निकाला गया है।
पश्चिम रेलवे पर बोरिवली-विरार खंड में नाले की सफाई के सर्वेक्षण और निगरानी के लिए ड्रोन का उपयोग किया गया है। जलजमाव कम हो, इसके लिए पुलियों के निर्माण के लिए नई माइक्रो टनलिंग पद्धति को अपनाया गया है। पानी की निकासी में रोड़ा बननेवाले पटरियों के किनारे पड़ी हुई स्क्रैप सामग्री और रेल की बेकार पटरियों के साथ-साथ स्लीपरों को भी हटा दिया गया है।
पिछले वर्ष पश्चिम रेलवे ने ट्रैक के किनारे पड़े ५,४०० मीट्रिक टन स्क्रैप / उपयोग की गई पटरियों को हटाया, जबकि चालू वर्ष में ३,३०० मीट्रिक टन स्क्रैप / उपयोग की गई पटरियों को ट्रैक के किनारे से हटाया गया है। इसके साथ ही पश्चिम रेलवे पर पटरियों के किनारे से लगभग १४,००० बेकार स्लीपरों को हटा गया है, जबकि मध्य रेल पर ऐसे लगभग ४६,००० बेकार स्लीपरों को हटाया गया है। मध्य और पश्चिम रेल के मुंबई मंडल के क्रमश: ७७ और ५३ चिह्नित कल्वर्ट की सफाई रेलवे ने पूरी की है।