विलासराव देशमुख, वह नेता जो महाराष्ट्र में कांग्रेस के लिए धुरी बना रहा
नई दिल्लीः राजनीति की राह पर चलना और कोयले भरी कोठरी में जाना लगभग एक जैसा है. राजनीति आपको अगर एक कद्दावर नेता और दमखम वाला व्यक्तित्व बना सकती है तो विवादों के साथ आपको लपेट देना नहीं भूलती है. ठीक वैसे ही जैसे कोयले की कोठरी में जाना यानी तय है कि जरा सी कालिख तो लगेगी ही लगेगी. बस ऐसा ही कुछ कहानी है, कांग्रेस के अहम और कद्दावर नेता रहे विलासराव देशमुख की. आज उनकी बात इसलिए क्योंकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों वाली लिस्ट में शामिल विलास राव देशमुख की आज जयंती है. 26 मई 1945 को लातूर जिले के बाभालगांव के एक मराठा परिवार में जन्में विलासराव ने पुणे विश्वविद्यालय से विज्ञान और ऑर्ट्स दोनों में स्नातक की पढ़ाई की और बाद में पुणे के ही इंडियन लॉ सोसाइटी कॉलेज से कानून भी पढ़ लिया. पढ़ाई के साथ-साथ समाजसेवा जैसे कार्य चलते रहे और राजनीति की तरफ कदम बढ़ सकते हैं ऐसा अनुमान भी होने लगा.
देशमुख राजनीति में मजबूत कदम रख पाए उसकी एक वजह यह थी कि उन्होंने बेहद निचले स्तर से शुरुआत की. यानी वह आखिरी वोटर तक के चुनावी गणित को परख चुके थे. पंचायती चुनाव से करियर शुरू करते हुए पहले पंच और फिर सरपंच बने. इसके बाद जिला परिषद के सदस्य और लातूर तालुका पंचायत समिति के उपाध्यक्ष भी रहे. विलासराव युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष भी रहे और अपने कार्यकाल के दौरान युवा कांग्रेस के पंचसूत्रीय कार्यक्रम को लागू करने की दिशा में भी काम किया. 1980 से1995 तक लगातार तीन चुनावों में वह विधानसभा के लिए चुने गए और विभिन्न मंत्रालयों में बतौर मंत्री कार्यरत रहे.