ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए केंद्र के पैर भी छूने को भी तैयार - राजेश टोपे
मुंबईः महाराष्ट्र में कोविड-19 मामलों में वृद्धि औैर मेडिकल ऑक्सीजन की गंभीर कमी के बीच राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने गुरुवार को कहा कि अगर जीवनरक्षक गैस की आवश्यक आपूर्ति में मदद मिलती है तो राज्य सरकार, केंद्र के पैर छूने को भी तैयार है.
टोपे ने पत्रकारों से कहा, "राज्य सरकार लोगों की जान बचाने के लिए सब कुछ करने को तैयार है. हम काफी विनम्रता से अनुरोध कर रहे हैं ... यहां तक कि ऑक्सीजन की आवश्यक मात्रा के लिए केंद्र के पैर छूने को भी तैयार हैं."
ऑक्सीजन के वितरण का अधिकार केंद्र सरकार के हाथों में -टोपे
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘‘राज्यों के बीच ऑक्सीजन के वितरण का अधिकार केंद्र सरकार के हाथों में है. उन्हें अपने अधिकारों का उपयोग करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि महाराष्ट्र को अधिक ऑक्सीजन मिले." उन्होंने कहा कि केंद्र को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऑक्सीजन ले जाने वाले टैंकरों को ‘ ग्रीन कोरिडोर ’ उपलब्ध हो ताकि वे शीघ्र गंतव्य पर पहुंच सकें. उन्होंने कहा, ‘‘मैं केंद्र से बार-बार यह अनुरोध कर रहा हूं."
महाराष्ट्र कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित
महाराष्ट्र में कोरोना कहर बनकर वहां के लोगों पर टूट रहा है. गुरुवार को राज्य में कोरोना संक्रमण के 67 हजार 13 नए मामले सामने आए जबकि कोविड-19 से 568 लोगों की मौत हुई है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी के अनुसार, अब तक राज्य में कुल 40 लाक 94 हजार 840 लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है जबकि संक्रमण से कुल 62,479 लोगों की मौत हुई है.
बंबई हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की ऑक्सीजन आपूर्ति में कटौती करने के लिए केंद्र सरकार को लताड़ लगाते हुए आदेश दिया है कि वह पहले की तरह ही आपूर्ति सुनिश्चित करे।
\अदालत ने स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय की 18 अप्रैल की उस चिट्ठी का हवाला दिया जिसमें केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र सरकार से कहा था कि भिलाई संयंत्र से उसे ऑक्सीजन की आपूर्ति 110 टन रोज़ाना से कम कर 60 टन कर दी जाएगी।
हाई कोर्ट ने कहा कि केंद्र का यह फ़ैसला महाराष्ट्र सरकार के लिए एक आकस्मिक मुसीबत बन कर आया। जस्टिस सुनील सुकरे व जस्टिस एस. एम. मोदक के खंडपीठ ने इस पर केंद्र सरकार की खिंचाई करते हुए सवाल किया कि उसने ऐसा क्यों किया जबकि देश के 40 प्रतिशत कोरोना रोगी सिर्फ महाराष्ट्र में ही हैं।
खंडपीठ ने कहा कि सबसे ज़्यादा कोरोना रोगी महाराष्ट्र में होने को देखते हुए केंद्र सरकार को ऑक्सीजन आपूर्ति बढ़ा कर 200-300 टन कर देना चाहिए था, लेकिन उसमें कटौती कर दी।
हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि महाराष्ट्र को पहले की तरह ही रोज़ाना 110 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दिया जाना चाहिए।