सोशल मीडिया में सक्रियता से गई जान!
मुंबई : वैवाहिक रिश्तों में दरार आज आम बात हो गई है। ज्यादातर रिश्ते विवाहेत्तर संबंध या फिर ऐसे संबंधों के शक के कारण ही बिगड़ते हैं। ऐसे मामलों में रिश्ते खत्म करने का बेहतरीन रास्ता है तलाक ले लेना लेकिन कुछ लोग जीवन साथी की बेवफाई बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं। ऐसे लोग हत्या जैसा अपराध करने से भी नहीं हिचकिचाते हैं। ऐसा ही एक मामला मुंबई से कुछ सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित नासिक जिले से सामने आया था। शक के कारण एक शख्स ने अपने दोस्तों को सुपारी देकर पत्नी की हत्या करा दी थी और लाश को दूर फेंक दिया था ताकि उसकी पहचान न हो सके। परंतु मृतका की साड़ी और मोबाइल टॉवरों से मिले कॉल रिकार्डों से पुलिस ने हत्यारों को दबोच लिया।
नासिक के अंबड गांव से एक विवाहित युवती अचानक लापता हो गई थी। वह मायके में आई थी लेकिन बाद में उसे चांदवड स्थित घाट में ले जाकर कत्ल कर दिया गया था। नासिक पुलिस ने ४ दिन की कड़ी मशक्कत के बाद इस सनसनीखेज हत्याकांड को अंजाम देनेवाले कातिल को गिरफ्तार किया था।
हुआ कुछ ऐसा था कि चांदवड स्थित राहुड गांव के बाहर स्थित एक खेत में पुलिस को एक अज्ञात महिला का शव मिला था। मृतका की उम्र ३५ से ४० वर्ष के बीच होगी ऐसा अनुमान पुलिस ने लगाया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में महिला की गला घोंट कर हत्या किए जाने का खुलासा हुआ था लेकिन पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी मृतका के शिनाख्त की। हत्यारे ने मौका-ए-वारदात पर ऐसा कोई सुराग नहीं छोड़ा था जिससे मृतका या उसके कातिल का कोई पता चल पाता।
हत्या के इस मामले की जांच चांदवड पुलिस कर रही थी। एपीआई स्वप्निल राजपूत ने मौका-ए-वारदात से छानबीन शुरू की थी। इसी दौरान जांच नासिक पुलिस की क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई। पुलिस निरीक्षक के. के. पाटील के मार्गदर्शन में क्राइम ब्रांच की टीम ने सबसे पहले आसपास के इलाकों से लापता महिलाओं के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की। इसी दौरान क्राइम ब्रांच के अधिकारियों को अंबड पुलिस की हद में लापता हुई एक महिला की जानकारी मिली। उक्त लापता महिला का नाम नीता नारायण चित्ते था। नीता उसी दौरान लापता हुई थी, जब चांदवड पुलिस को अज्ञात महिला की लाश मिली थी। नीता, अंबड में स्थित अपने मायके आई थी लेकिन १४ जून, २०२० को वह संदिग्ध परिस्थितयों में घर से लापता हो गई थी। तमाम प्रयासों के बाद भी नीता को ढूंढ़ने में नाकाम रहे उसके परिजनों ने १५ जून को अंबड पुलिस थाने में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी। क्राइम ब्रांच के साथ-साथ अंबड पुलिस भी वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक कुमार चौधरी के मार्गदर्शन में मामले की जांच में जुटी थी। क्राइम ब्रांच के पीआई कमलाकर चौधरी की टीम ने पाया कि अंबड पुलिस थाने में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराते समय नीता के परिजनों द्वारा दी गई उसकी तस्वीर की साड़ी एवं चांदवड पुलिस को मिली अज्ञात महिला के शरीर पर मौजूद साड़ी एक जैसी ही थी। इससे क्राइम ब्रांच की टीम यह समझ गई कि वह लाश नीता की ही थी। पुलिस थाने में पहुंचे नीता के परिजनों एवं पति नारायण ने लाश को पहचान कर इसकी पुष्टि भी कर दी।
जांच की पहली पहेली तो पुलिस ने हल कर ली थी लेकिन हत्यारे और हत्या की वजह से पुलिस अभी भी अंजान ही थी। नतीजतन अज्ञात हत्यारे को ढूंढ़ने के लिए पुलिस ने वारदात वाले दिन घटनास्थल के आसपास मौजूद मोबाइल फोनों की जांच से कातिल को ढूंढ़ने का निर्णय लिया। पुलिस ने मोबाइल टॉवर से वारदात के समय क्षेत्र में मौजूद लोगों की जानकारी जुटाई और लगभग साढ़े ७ लाख कॉल डिटेल खंगालकर उसमें से कातिल की तलाश शुरू की। काम मुश्किल था लेकिन थोड़ा आसान हो गया। कुछ हजार कॉल की डिटेल खंगालने के बाद पुलिस को मौके से विनय निंबाजी वाघ और भरत निंबाजी मोरे नामक दो लोग संदिग्ध नजर आए। विनय नासिक का तो वहीं भरत, उल्हासनगर का निवासी था। पुलिस ने विनय और भरत को हिरासत में लिया और पुलिसिया अंदाज में पूछताछ शुरू की तो दोनों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया।
विनय और भरत ने पुलिस के सामने जो राज खोले वो बेहद चौंकानेवाले था। पहला राज ये था कि नीता का पति नारायण ही इस कत्ल का मुख्य सूत्रधार था। दूसरा राज ये था कि नारायण ने विनय और भरत को नीता की हत्या करने के लिए १० लाख रुपए की सुपारी दी थी। विनय, नारायण की दोस्त था। नारायण को शक था कि नीता का किसी और व्यक्ति से संबंध चल रहा है। इसी शक ने उसे शैतान बना दिया। नीता से सच्चाई जानने के बजाय उसने विनय और भरत को हत्या की सुपारी दे दी।
वारदात को अंजाम देने के लिए नारायण काफी समय से योजना बना रहा था। वह वारदात के बाद ऐसा कोई भी सबूत पीछे छोड़ना नहीं चाहता था जिससे पुलिस को उस पर शक हो। नीता सोशल मीडिया एव वाट्सऐप पर कुछ ज्यादा ही सक्रिय थी। कातिलों ने इसी का लाभ उठाया। योजना के तहत संदिग्धों में शामिल वाहिद अली नामक शख्स ने सोशल मीडिया के जरिए नीता से दोस्ती की। वारदात वाले दिन उसने नीता को मिलने के लिए बुलाया था। कातिलों ने एक कार में नीता का गला घोंट दिया। नारायण ने सोचा था कि किसी को उस पर कभी भी शक नहीं होगा। लेकिन साड़ी के रंग और मोबाइल फोनों की टॉवर लोकेशन ने नारायण की योजना पर पानी पेर दिया।