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मुंबई : लॉकडाउन से पहले मुंबई में रेल की पटरियों पर रोजाना 8-9 लोगों की मौत होती थी। सालभर में यह संख्या 3,000 के करीब पहुंच जाती थी। इनमें से लगभग 60 प्रतिशत मौतें पटरी पार करने से होती थीं। रेलवे ट्रिब्यूनल के लिए मुसीबत तब खड़ी हो जाती है, जब इस तरह के मामलों में भी मुआवजा मांगा जाता है और कई बार उसे भुगतान भी करना पड़ता है। इस स्थिति से बचने के लिए अब पश्चिम रेलवे लोकल ट्रेनों के आगे कैमरा लगाने जा रही है।
मोटरमैन के कोच के अंदर और आगे लगे इन कैमरों से रेलवे विभिन्न बातों पर नजर रखेगी। इससे पहला फायदा यह होगा कि ट्रेन चलते समय पटरी पर होने वाली हर हलचल पर नजर रखी जा सकेगी। बारिश में पटरियों के आगे पानी भरे होने पर चालन संबंधी सही निर्णय लिया जा सकेगा। सिग्नल देखने या स्पीड लिमिट पर ध्यान रखने के लिए भी यह कैमरा कारगर साबित होगा। आंदोलन या लोगों के पटरियों पर उतर जाने जैसे मामलों पर भी इससे निगरानी रखी जा सकेगी।
मुंबई में कई बार भीड़ की वजह से यात्रियों के पटरी पर गिरने की घटनाएं हुई हैं। इस स्थिति में यदि कोई ट्रेन आमने-सामने से क्रॉस होती है, तो घटना कैमरे में कैप्चर हो सकती है। कई बार ट्रेन पर पत्थर फेंकने की घटनाएं भी हुई हैं। इन मामलों में भी आरोपी पर नजर रखी जा सकती है। फटका गैंग के लोग डंडा मारकर चलती ट्रेन से गेट पर खड़े यात्रियों के मोबाइल गिराते हैं। पटरी के आस-पास खड़े ऐसे लोगों को भी कैप्चर किया जा सकता है।


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